बिहार में शिक्षक भर्ती को लेकर युवाओं का आक्रोश अब सड़कों पर दिखाई देने लगा है। रविवार की शाम को अररिया जिले में BPSC शिक्षक भर्ती परीक्षा (TRE-4.0) के अंतर्गत रिक्त पदों की संख्या बढ़ाने और जल्द से जल्द भर्ती प्रक्रिया का विज्ञापन जारी करने की मांग को लेकर अभ्यर्थियों ने कैंडल मार्च निकाला।
यह कैंडल मार्च कोशी पुल से शुरू होकर चांदनी चौक पर समाप्त हुआ, जिसमें सैकड़ों की संख्या में शिक्षक अभ्यर्थी और छात्र संगठन के सदस्य शामिल हुए। इस मार्च का नेतृत्व छात्र नेता दानिश बशीर और सूरज ठाकुर ने किया। मार्च के दौरान अभ्यर्थियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और कहा कि यदि उनकी मांगों को जल्द नहीं माना गया, तो आंदोलन को और भी व्यापक स्तर पर ले जाया जाएगा।

प्रदर्शन में लगे नारे और अभ्यर्थियों की मांगें
मार्च के दौरान अभ्यर्थियों ने “TRE-4 नहीं तो वोट नहीं”, “1 लाख 20 हजार पदों पर विज्ञापन आचार संहिता से पहले जारी हो”, और “बेरोजगारी हटाओ, शिक्षा बचाओ” जैसे गगनभेदी नारे लगाए। उनका कहना था कि सरकार जानबूझकर शिक्षक पदों की रिक्तियां छिपा रही है और योग्य अभ्यर्थियों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है।

छात्र नेताओं का बयान
छात्र नेता दानिश बशीर ने कहा,
“बिहार के लाखों बेरोजगार युवा TRE-4.0 का इंतजार कर रहे हैं। सरकार को चाहिए कि वह कम से कम 1 लाख 20 हजार पदों पर विज्ञापन जल्द जारी करे। युवाओं का धैर्य अब जवाब दे रहा है। अगर अब भी कार्रवाई नहीं हुई, तो आने वाले चुनावों में इसका असर जरूर दिखाई देगा।”
वहीं छात्र नेता सूरज ठाकुर ने कहा कि सरकार की निष्क्रियता से युवाओं में रोष बढ़ता जा रहा है। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि यदि जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह आंदोलन राज्यव्यापी बन सकता है।

जनप्रतिनिधियों का भी मिला समर्थन
मार्च में जिला परिषद प्रतिनिधि फैसल जावेद यासीन भी शामिल हुए और उन्होंने अभ्यर्थियों की मांगों का समर्थन किया। उन्होंने कहा:
“शिक्षा क्षेत्र में रिक्त पदों को भरना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। योग्य और प्रशिक्षित युवाओं को रोजगार देना सरकार का दायित्व है। TRE-4.0 को लेकर जितनी जल्दी हो सके स्पष्ट और व्यापक विज्ञापन जारी किया जाना चाहिए।”
अभ्यर्थियों ने दिखाई एकजुटता
इस कैंडल मार्च में अबसार आलम, सूफियान अंसारी, एहसान रेजा, दिलशाद, सुहानी बेगम, जासमीन, सादिया, उफक, फरीदा, गुलफसान, जैनब, रब्बान सहित कई अन्य अभ्यर्थियों ने भाग लिया और अपनी एकजुटता दिखाई।
अभ्यर्थियों ने प्रशासन को स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि TRE-4.0 से संबंधित विज्ञापन जल्द जारी नहीं हुआ और सीटें नहीं बढ़ाई गईं, तो वे आने वाले दिनों में प्रदर्शन और भूख हड़ताल जैसे कदम उठाने को मजबूर होंगे।
सरकार और प्रशासन पर दबाव
यह प्रदर्शन अब स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार का ध्यान खींचने में सफल रहा है। माना जा रहा है कि आगामी दिनों में इस मुद्दे पर सरकार को कोई बड़ा फैसला लेना पड़ सकता है, खासकर तब जब राज्य में आचार संहिता लागू होने की स्थिति बन रही है।
निष्कर्ष:
अररिया में हुए इस कैंडल मार्च ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि बिहार के युवा शिक्षक भर्ती को लेकर गंभीर हैं और वे अब केवल आश्वासनों से संतुष्ट नहीं होंगे। अगर सरकार ने समय रहते कार्रवाई नहीं की, तो यह आंदोलन बिहार के अन्य जिलों में भी तेज हो सकता है, जिससे आने वाले विधानसभा चुनावों पर भी असर पड़ सकता है।
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