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किशनगंज में नहर में डूबने से 6 साल की मासूम की मौत

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किशनगंज, बिहार:
कोचाधामन प्रखंड के हलदीखोरा पंचायत स्थित भोरहा गांव में मंगलवार की दोपहर एक मासूम बच्ची की नहर में डूबने से दर्दनाक मौत हो गई। मृत बच्ची की पहचान भोरहा गांव निवासी मंजूर आलम की 6 वर्षीय बेटी शबाना के रूप में हुई है। घटना के बाद पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई और परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।

किशनगंज में नहर में डूबने से 6 साल की मासूम की मौत
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खेलते-खेलते जिंदगी छिन गई

स्थानीय लोगों के अनुसार, शबाना दोपहर के समय घर के बाहर अन्य बच्चों के साथ खेल रही थी। हाल ही में हुई भारी बारिश और बाढ़ के कारण गांव की नहर और आसपास के इलाकों में पानी भरा हुआ था। खेल के दौरान वह असावधानीवश नहर के पास चली गई और अचानक फिसलकर पानी में गिर गई।

परिजनों को जब बच्ची की मौजूदगी नजर नहीं आई तो उन्होंने उसकी तलाश शुरू की। काफी देर खोजबीन के बाद उसका शव नहर में मिला। बच्ची को जब तक बाहर निकाला गया, तब तक वह दम तोड़ चुकी थी। शबाना की मौत की खबर सुनते ही पूरे परिवार में कोहराम मच गया।

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गांव में मातम, विधायक पहुंचे मौके पर

घटना की सूचना मिलते ही आसपास के ग्रामीणों की भारी भीड़ घटनास्थल पर जमा हो गई। क्षेत्र में गहरा मातम छा गया। इसी बीच स्थानीय विधायक इजहार असफी भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने grieving परिवार से मिलकर संवेदना व्यक्त की और उन्हें ढाढ़स बंधाया।

विधायक असफी ने कहा,

“यह एक अत्यंत दुखद और हृदयविदारक घटना है। छोटी बच्ची की यूं असमय मृत्यु पूरे समाज के लिए पीड़ा देने वाली है। प्रशासन को ऐसे संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकी जा सकें।”

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प्रशासन की प्रतिक्रिया

कोचाधामन थाना अध्यक्ष रंजय कुमार ने जानकारी दी कि अब तक परिजनों की ओर से कोई लिखित शिकायत या आवेदन नहीं दिया गया है। साथ ही उन्होंने बताया कि परिजनों ने बच्ची का पोस्टमॉर्टम कराने से भी इनकार कर दिया है।

पुलिस का कहना है कि यदि परिवार चाहे तो प्रशासनिक सहायता और सरकारी प्रावधानों के तहत मुआवजा प्रक्रिया शुरू की जा सकती है, लेकिन इसके लिए विधिवत प्रक्रिया का पालन करना होगा।

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बाढ़ से बढ़ा जोखिम, जिम्मेदार कौन?

यह घटना केवल एक पारिवारिक त्रासदी नहीं, बल्कि प्रशासनिक चेतावनी भी है। हाल की बाढ़ के चलते गांव की नहरें और खेत जलमग्न हैं, और कहीं भी कोई सुरक्षात्मक व्यवस्था या चेतावनी चिन्ह नहीं लगाया गया है। बच्चों के खेलने के स्थान सीमित होने के कारण वे ऐसी खतरनाक जगहों की ओर आकर्षित हो जाते हैं, जो जानलेवा साबित हो सकती हैं।

स्थानीय ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि गांव में जलभराव वाले क्षेत्रों के पास सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए जाएं और बच्चों की सुरक्षा के लिए जनजागरूकता अभियान भी चलाया जाए।


निष्कर्ष:

शबाना की असमय मृत्यु ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि प्राकृतिक आपदाओं के बाद बचाव और सुरक्षा की तैयारियों में अब भी भारी कमी है। एक मासूम जान चली गई, लेकिन अगर प्रशासन और समाज मिलकर सजग हो जाएं, तो भविष्य में ऐसे हादसे टाले जा सकते हैं।

अधिक अपडेट के लिए पढ़ें Jeb News.

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