किशनगंज (बिहार):
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने आगामी विधानसभा उपचुनाव के लिए कोचाधामन विधानसभा सीट से नया चेहरा पेश करते हुए मास्टर मुजाहिद आलम को पार्टी का आधिकारिक प्रत्याशी घोषित किया है। इस निर्णय से मौजूदा राजद विधायक हाजी इजहार अशरफी का टिकट कट गया है, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है।

■ कौन हैं मास्टर मुजाहिद आलम?
54 वर्षीय मुजाहिद आलम, स्नातक डिग्रीधारी और सुरजापुरी मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। वे पहले जनता दल (यूनाइटेड) के नेता रह चुके हैं और किशनगंज जिले की राजनीति में अच्छी पकड़ रखते हैं।
उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 2010 में की थी और 2014 में कोचाधामन सीट पर हुए उपचुनाव में जद (यू) प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज कर पहली बार विधानसभा पहुंचे। इसके बाद 2015 के चुनाव में उन्होंने AIMIM के दिग्गज नेता अख्तरुल ईमान को हराया, जिससे उनकी राजनीतिक पहचान और मजबूत हुई।
हालांकि, 2020 के विधानसभा चुनाव में मुजाहिद आलम को बड़ा झटका लगा, जब वे AIMIM उम्मीदवार इजहार असफी से लगभग 40,000 वोटों के अंतर से चुनाव हार गए। इस हार के बाद वे राजनीतिक रूप से सक्रिय तो रहे, लेकिन 2024 आते-आते उन्होंने जद (यू) से इस्तीफा देकर राजद का हाथ थाम लिया।

■ वक्फ कानून पर नाराज़गी बनी वजह?
सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा वक्फ अधिनियम में किए गए संशोधनों से मुजाहिद आलम नाराज़ थे और यही नाराज़गी जद (यू) से उनके इस्तीफे का कारण बनी। इसके बाद उन्होंने तेजस्वी यादव की मौजूदगी में राजद की सदस्यता ग्रहण की, जिससे स्पष्ट हो गया था कि वे अब कोचाधामन सीट से फिर से चुनावी मैदान में उतरेंगे।
■ लोकसभा से विधानसभा की ओर रुख
दिलचस्प बात यह है कि मुजाहिद आलम 2024 के लोकसभा चुनाव में किशनगंज संसदीय सीट से जद (यू) के संभावित उम्मीदवार माने जा रहे थे। लेकिन पार्टी बदलने के बाद उन्होंने विधानसभा पर फोकस किया और अब राजद से कोचाधामन सीट के उम्मीदवार बनकर सामने आए हैं।
■ हाजी इजहार अशरफी का टिकट क्यों कटा?
हाजी इजहार अशरफी, जो वर्तमान में कोचाधामन से राजद विधायक हैं, को इस बार टिकट नहीं दिया गया है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि 2020 में AIMIM के बैनर तले उनकी जीत के बावजूद क्षेत्र में उनका प्रभाव लगातार घट रहा था। वहीं, मुजाहिद आलम की फिर से एंट्री और सुरजापुरी समुदाय में उनकी पैठ ने राजद को टिकट बदलने के लिए मजबूर किया।
■ सामाजिक समीकरण साधने की कोशिश
कोचाधामन विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या बड़ी है, जिनमें सुरजापुरी समुदाय एक प्रमुख वोट बैंक माना जाता है। मास्टर मुजाहिद आलम इसी समुदाय से आते हैं, और राजद को उम्मीद है कि उनका जातीय और सामाजिक प्रभाव पार्टी को इस सीट पर फायदा दिला सकता है।
राजद ने यह फैसला एक राजनीतिक दांव के तौर पर लिया है, ताकि AIMIM जैसी पार्टियों से मुकाबला किया जा सके, जो सीमांचल क्षेत्र में लगातार अपनी पकड़ मजबूत कर रही हैं।
■ मुजाहिद आलम का बयान
राजद उम्मीदवार बनाए जाने के बाद मुजाहिद आलम ने कहा:
“मैं हमेशा से जनता की सेवा के लिए राजनीति में आया हूं। राजद के साथ मिलकर कोचाधामन को विकास की नई राह पर ले जाऊंगा। मेरा उद्देश्य केवल चुनाव जीतना नहीं, बल्कि हर तबके की समस्याओं को हल करना है।”
■ जद (यू) की प्रतिक्रिया
मास्टर मुजाहिद के पार्टी छोड़ने पर जद (यू) ने संयमित प्रतिक्रिया दी है। पार्टी प्रवक्ताओं ने इसे “व्यक्तिगत निर्णय” बताते हुए कहा है कि पार्टी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। हालांकि, अंदरखाने यह चर्चा है कि मुजाहिद के जाने से सीमांचल में जद (यू) को रणनीतिक नुकसान हो सकता है।
■ निष्कर्ष:
राजद द्वारा मास्टर मुजाहिद आलम को टिकट देना न सिर्फ कोचाधामन की राजनीति में बदलाव का संकेत है, बल्कि यह पार्टी की उस रणनीति का हिस्सा भी है, जिसके तहत वह सीमांचल में AIMIM और भाजपा दोनों को टक्कर देना चाहती है। अब देखना यह होगा कि क्या मास्टर मुजाहिद आलम अपनी पुरानी साख को भुना पाएंगे या नहीं।
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