किशनगंज सहित पूरे बिहार में राजनीतिक गतिविधियां चुनाव से पहले चरम पर हैं। इस क्रम में कई बड़े नेता दल बदल कर नए राजनीतिक समीकरण बना रहे हैं। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM को सीमांचल क्षेत्र से बड़ा झटका लगा है। ठाकुरगंज से विधानसभा टिकट के दावेदार मुफ्ती अतहर जावेद, कोचाधामन से प्रखंड अध्यक्ष जफर असलम और प्रवक्ता नेहाल अख्तर ने AIMIM छोड़कर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का दामन थामा है।

पटना में पार्टी मुख्यालय में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की मौजूदगी में सभी नेताओं ने राजद की सदस्यता ग्रहण की। यह बदलाव राज्य में दूसरे चरण के मतदान (किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार) से ठीक पहले हुआ है, जो AIMIM के लिए राजनीतिक चुनौती बन सकता है।

AIMIM में बगावत की शुरुआत उम्मीदवारों के नामों की घोषणा के बाद हुई थी। कई नेताओं ने प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान और प्रवक्ता आदिल हसन सहित अन्य नेताओं पर टिकट बेचने और झूठे वादे का आरोप लगाया। अख्तरुल ईमान ने इसका खंडन किया था, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ और दर्जनों नेताओं ने पार्टी छोड़ दी।

राजद में शामिल होने के बाद जफर असलम ने कहा कि उनका यह फैसला केवल टिकट का मसला नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि अख्तरुल ईमान ने उन्हें चुनाव लड़ने का झूठा आश्वासन दिया, जिसके चलते वह क्षेत्र भ्रमण कर रहे थे। असलम ने कहा, “हमारे साथ धोखा हुआ है। जब अख्तरुल ईमान 2001 में जिला परिषद बने थे, तब तस्लीमुद्दीन का योगदान था। उन्हीं की मदद से वह विधायक बने। इसी कारण मैंने पार्टी छोड़ी।”
अख्तरुल ईमान पर आरोप लगाते हुए असलम ने कहा कि उन्होंने राजद प्रत्याशी मास्टर मुजाहिद आलम का समर्थन करने का निर्णय लिया क्योंकि वह ‘जमीनी आदमी’ हैं और स्थानीय स्तर पर मजबूत पकड़ रखते हैं।
राजद में शामिल होने के बाद देर रात जफर असलम सहित सभी नेताओं का घर लौटते ही कार्यकर्ताओं ने भव्य स्वागत किया। इस घटना से स्पष्ट है कि सीमांचल में चुनावी समीकरण अब बदलने लगे हैं और AIMIM की स्थिति कमजोर होती दिख रही है।
इस बदलाव के बाद राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि राजद की सीमांचल में पकड़ मजबूत होगी और AIMIM को अपने उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने में चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
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