कटिहार: जिले के आजमनगर प्रखंड स्थित मां चंडी काली तालाब इस वर्ष भी छठ महापर्व के अवसर पर श्रद्धा और भक्ति का केंद्र बना हुआ है। करीब तीन एकड़ में फैला यह तालाब न केवल कटिहार जिले का सबसे बड़ा जलाशय है, बल्कि पिछले 25 वर्षों से हजारों परिवारों की आस्था का प्रतीक भी रहा है।

यह तालाब धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके पास स्थित मां चंडी काली मंदिर स्थानीय लोगों की गहरी श्रद्धा का केंद्र है। हर साल यहां छठ महापर्व के अवसर पर हजारों व्रती महिलाएं और श्रद्धालु सूर्य देव की उपासना के लिए जुटते हैं।

मां चंडी छठ पूजा समिति के उप सचिव अमित कुमार पांडे, अध्यक्ष बबलू कुमार मंडल, कोषाध्यक्ष सनी कुमार आलोक और सदस्य नूर परवेज ने बताया कि तालाब का यह परिसर बिहार-बंगाल सीमा पर स्थित आजमनगर की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान का प्रतीक है। इस वर्ष भी घाट को आकर्षक रूप से सजाया गया है, जिसमें पारंपरिक सजावट के साथ-साथ आधुनिक लाइटिंग की भी व्यवस्था की गई है।

व्रतियों की सुविधा के लिए समिति की ओर से सभी आवश्यक सुविधाएं निःशुल्क उपलब्ध कराई जा रही हैं। सुरक्षा के मद्देनज़र पूरे तालाब क्षेत्र की बैरिकेडिंग की गई है ताकि कोई भी श्रद्धालु गहरे पानी में न जाए। साथ ही घाट पर ‘क्या करें और क्या न करें’ से जुड़े दिशा-निर्देश बोर्ड भी लगाए गए हैं।
समिति के निर्माण और प्रबंधन में राजेश कुमार भगत, प्रेम कुमार पोद्दार, सरोज कुमार, राकेश कुमार पोद्दार, मानव प्रियदर्शी, मोहतमिम आलम, इजहार आलम, भरत कुमार राय, विशाल कुमार आलोक, निशिकांत राय, जयदेव बोसाक, कृष्ण कुमार राय, रंजीत कुमार साह, चून्ना पोद्दार, सरवन कुमार पाल, मोहम्मद नूर परवेज, पवन बोसाक, गोपाल सिंह, सचिन यादव, महेश बोसाक और उत्तम यादव सहित कई लोगों का विशेष योगदान रहा है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि हर वर्ष की तरह इस बार भी छठ घाट की भव्यता और धार्मिक माहौल पूरे क्षेत्र को आस्था के रंग में रंग देगा।
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