किशनगंज (बिहार): बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच राजनीतिक माहौल गरमा गया है। सभी राजनीतिक दल जहां विकास और रोजगार के नाम पर जनता से वोट मांग रहे हैं, वहीं किशनगंज जिले के बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र से AIMIM प्रत्याशी तौसीफ आलम एक विवाद में घिर गए हैं। सोशल मीडिया पर उनके दो वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिन पर अब राजनीतिक घमासान मच गया है।

पहला वीडियो: पुरानी घटनाओं का जिक्र, विवादित शब्दों से मचा बवाल
पहले वायरल वीडियो में तौसीफ आलम अपने पिछले कार्यकाल की कुछ पुरानी घटनाओं का उल्लेख करते दिख रहे हैं। इस दौरान वे बताते हैं कि उन्होंने अपने कार्यकाल में जनता की सुरक्षा और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई थी। हालांकि, वीडियो में इस्तेमाल किए गए कुछ शब्दों को लेकर राजनीतिक हलकों में विवाद खड़ा हो गया है। विपक्षी दलों का कहना है कि ये बयान चुनाव के माहौल को भड़काने वाले हैं।
दूसरा वीडियो: मंच से पैसे बांटने का आरोप
इसी बीच, एक और वीडियो सामने आया है जिसमें तौसीफ आलम कथित रूप से मंच से अपने एक सहयोगी को बुलाते हुए दिखाई देते हैं। वीडियो में उन्हें कुछ लोगों को पैसे देते हुए देखा जा सकता है। यह वीडियो सामने आते ही विपक्षी दलों ने चुनावी आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाया है।

विपक्ष ने की जांच की मांग
कांग्रेस के जिला अध्यक्ष इमाम अली चिंटू और राजद नेता रेहान अहमद ने इस वीडियो को गंभीर मामला बताते हुए जिला प्रशासन से जांच की मांग की है। दोनों नेताओं ने आरोप लगाया कि “यह वीडियो साफ दर्शाता है कि मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है, जो चुनाव आयोग के नियमों का खुला उल्लंघन है

AIMIM ने कहा — “विपक्ष की साजिश”
वहीं, इस पूरे विवाद पर AIMIM जिला अध्यक्ष नसीम अख्तर ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि “यह विपक्ष की साजिश है। पार्टी की छवि खराब करने के लिए वीडियो को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। तौसीफ आलम एक ईमानदार जनप्रतिनिधि हैं, जो हमेशा जनता की सेवा में लगे रहते हैं।”
प्रशासन की प्रतिक्रिया: “वीडियो की जांच जारी”
इस पूरे मामले पर जब किशनगंज जिला पदाधिकारी (डीएम) विशाल राज से बात की गई, तो उन्होंने कहा,
“वीडियो की जांच की जा रही है। यदि तथ्यों के अनुसार यह सही पाया गया, तो आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”
डीएम ने साथ ही सभी प्रत्याशियों से आदर्श आचार संहिता का पालन करने और भ्रामक बयानबाजी से बचने की अपील की है।

निष्कर्ष
इस घटना के बाद किशनगंज की राजनीतिक फिजा गर्म हो गई है। जहां विपक्ष इसे सत्ता पक्ष की “जनता को लुभाने की रणनीति” बता रहा है, वहीं AIMIM इसे “विपक्ष की साजिश” करार दे रही है। चुनावी माहौल के बीच यह मामला अब प्रशासनिक जांच के घेरे में है, और आने वाले दिनों में इसका असर बहादुरगंज विधानसभा की सियासत पर साफ तौर पर देखा जा सकता है।
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