किशनगंज: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की पृष्ठभूमि में चल रही रैलियों और जनसभाओं के बीच किशनगंज जिले के बहादुरगंज में आयोजित एक चुनावी सभा ने सियासत को गर्मा दिया। रविवार को बंगाली चौक मैदान में आयोजित AIMIM की भव्य जनसभा के दौरान पार्टी के बहादुरगंज प्रत्याशी तौसीफ आलम ने पूर्णिया सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव पर तीखे हमला और खुलेआम धमकी दे दी। यह सभामंच तब और भी संवेदनशील हो गया जब राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भी मौके पर मौजूद थे।

सभास्थल पर तौसीफ आलम ने पप्पू यादव की राजनीतिक छवि पर सवाल उठाते हुए उन्हें कुख्यात अपराधियों — अतीक अहमद, शहाबुद्दीन और मुख्तार अंसारी — की श्रेणी में रखकर निशाना बनाया। तौसीफ ने मंच से पूछा, “आप अतीक अहमद, सिवान के शहाबुद्दीन और मुख्तार अंसारी की कैटेगरी में आते हो। आपकी हत्या क्यों नहीं हुई?” उन्होंने पप्पू पर ओवैसी के खिलाफ दिए गए बयानों के लिए भी तीखा रुख अपनाया और कहा कि जब ओवैसी को Z+ सुरक्षा मिली तो पप्पू को पेट में दर्द होने लगा।

तौसीफ ने आगे कहा — “ओवैसी साहब के बारे में बोलना तो दूर, सोचना भी मत। पहले मुझसे फरिया लो।” वे पप्पू यादव को चुनौती देते हुए बोले कि अगर ओवैसी के बारे में फिर कुछ कहा गया तो “आपकी हैसियत नपवा दूंगा। जरूरत पड़ी तो पूर्णिया की धरती पर जाकर जवाब दूंगा।” मंच से तौसीफ ने पप्पू से सवाल भी किया कि वे किस समय और कहां आएंगे — छपरा, सिवान या गोपालगंज — और पुनः अपनी चुनौती दोहराई।
AIMIM के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी घटनास्थल पर उपस्थित थे और तौसीफ का भाषण पार्टी के एक चुनावी अतिथि के रूप में लिये जाने वाले स्थान पर हुआ। सभा में भारी संख्या में समर्थक मौजूद थे और भाषण के दौरान माहौल तनावपूर्ण नजर आया।

राजनीतिक और कानूनी निहितार्थ
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि चुनावी गरमाहट के बीच ऐसे दृश्यों से क्षेत्रीय तनाव और बढ़ सकता है। किसी भी सार्वजनिक मंच से किसी नेता के खिलाफ हिंसक इशारों या प्रत्यक्ष धमकियों की भाषा का इस्तेमाल संवेदनशील माना जाता है और यह शांति-व्यवस्था के लिए खतरा भी बन सकता है। ऐसे बयानों पर कानूनी कार्रवाई या प्राथमिकी दर्ज होने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता — विशेषकर जब सार्वजनिक रूप से किसी की हत्या का संदर्भ दिया गया हो या जान से मारने की धमकी निहित हो।

प्रतिक्रिया और अगले कदम
इस रिपोर्ट तैयार होने तक पूर्णिया सांसद पप्पू यादव की ओर से कोई प्रतिक्रिया सार्वजनिक नहीं की गई है। स्थानीय प्रशासन या पुलिस की तरफ से भी किसी तात्कालिक कार्रवाई या बयान की सूचना अभी सामने नहीं आई है। राजनीतिक दलों और चुनाव आयोग की निगाहें ऐसे घटनाक्रमों पर रहती हैं; यदि शिकायत दर्ज करायी जाती है तो संबंधित पुलिस विभाग जांच कर सकता है।
संदर्भ
बिहार में चुनावी प्रतिस्पर्धा तेज है और प्रदेश के कई हिस्सों में रैलियों व सभाओं के दौरान तीखे भाषण और आरोप-प्रत्यारोप आम देखे जा रहे हैं। किशनगंज की यह घटना भी उसी श्रृंखला में देखी जा रही है और आने वाले दिनों में राजनीतिक बयानबाजी और जांच-कार्रवाई पर नजर बनी रहेगी।
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