किशनगंज: बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता उल्लंघन के मामलों में तेजी से कार्रवाई हो रही है। इसी क्रम में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी तौसीफ आलम के खिलाफ एक और मामला दर्ज किया गया है। यह उनके खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन का दूसरा मामला है। मामला मंगलवार को बहादुरगंज थाने में दर्ज हुआ।

चुनावी सभा में दिया आपत्तिजनक बयान
जिलाधिकारी विशाल राज द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, सोमवार शाम बहादुरगंज में एक चुनावी सभा के दौरान तौसीफ आलम ने राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव के बारे में आपत्तिजनक और भड़काऊ टिप्पणी की। उनके इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिससे राजनीतिक हलकों में हड़कंप मच गया।
वीडियो सामने आने के बाद विपक्षी दलों के नेताओं ने इसे आचार संहिता का गंभीर उल्लंघन बताते हुए जिला निर्वाचन कार्यालय में लिखित शिकायत दर्ज कराई। शिकायत पर त्वरित संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी के निर्देश पर बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र के सहायक रिटर्निंग अधिकारी ने FIR नंबर 429/25 बहादुरगंज थाने में दर्ज कराई।

दर्ज धाराएं और कानूनी कार्रवाई
पुलिस के अनुसार, यह मामला लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 125 और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 175, 176, 223, 351(2) और 352 के तहत दर्ज किया गया है। थानाध्यक्ष संदीप कुमार ने भी इस मामले की पुष्टि की है। पुलिस ने कहा कि वीडियो फुटेज और भाषण की जांच की जा रही है, जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
प्रशासन की सख्त चेतावनी
जिलाधिकारी विशाल राज ने कहा कि जिला प्रशासन चुनाव प्रक्रिया को निष्पक्ष, भयमुक्त और शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न कराने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी प्रत्याशी या राजनीतिक दल द्वारा आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उन्होंने चेतावनी दी, “यदि कोई प्रत्याशी या नेता चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन करेगा, तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन पूरी सख्ती से चुनावी नियमों को लागू कर रहा है।”
पहले भी दर्ज हो चुका है मामला
यह पहली बार नहीं है जब AIMIM प्रत्याशी तौसीफ आलम विवादों में आए हों। इससे पहले भी उन पर आचार संहिता के उल्लंघन का मामला दर्ज हो चुका है। अब दूसरे मामले के दर्ज होने से चुनावी सरगर्मी के बीच उनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं।
स्थानीय राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ऐसे मामलों का असर चुनावी माहौल और प्रत्याशी की छवि दोनों पर पड़ सकता है। वहीं, प्रशासन की तत्परता से यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि चुनाव आयोग शांतिपूर्ण और निष्पक्ष मतदान कराने के लिए पूरी तरह गंभीर है।
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