किशनगंज: बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र से AIMIM के नवनिर्वाचित विधायक तौसीफ आलम की सदस्यता पर गंभीर संकट गहरा गया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने नामांकन पत्र और शपथ-पत्र में अपनी तीन संतानों (दो बेटियां और एक बेटा) तथा पूर्व विधायक के रूप में मिलने वाली पेंशन की जानकारी जानबूझकर छिपाई। इस मामले में विभागीय जांच शुरू कर दी गई है।

यह शिकायत बहादुरगंज के स्थानीय कांग्रेस नेता आसिफ अकरम समेत कई नागरिकों ने जिला निर्वाचन पदाधिकारी-सह-डीएम विशाल राज को लिखित रूप में दी थी। शिकायत में कहा गया कि तौसीफ आलम ने 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में दाखिल किए गए हलफनामे में अपनी आश्रित संतानों और पूर्व में चार बार विधायक रहने के कारण मिलने वाली पेंशन का कोई उल्लेख नहीं किया।

शिकायतकर्ता का आरोप है कि यह जानबूझकर तथ्य छिपाने की कोशिश थी, जिससे मतदाताओं को गुमराह किया गया। मामले को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125A के तहत अपराध माना गया है। शिकायत की एक प्रति बिहार राज्य निर्वाचन आयोग, पटना को भी भेजी गई है।
इस आरोप के आधार पर कई अन्य लोगों ने भी चुनाव आयोग से विधायक की सदस्यता रद्द करने की मांग की है। दायर शिकायत पर संज्ञान लेते हुए बहादुरगंज के निर्वाची पदाधिकारी शिव शंकर पासवान ने शिकायतकर्ता आसिफ अकरम को पत्र लिखकर आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, यदि कोई उम्मीदवार संपत्ति, देनदारियों या आश्रितों की जानकारी छिपाता है, तो उसकी सदस्यता रद्द की जा सकती है। साथ ही, उस पर तीन साल तक चुनाव लड़ने पर भी रोक लगाई जा सकती है।
वर्तमान में इस मामले की जांच चल रही है और सभी की निगाहें चुनाव आयोग के अगले कदम पर टिकी हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो यह विधायक के राजनीतिक करियर पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।
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