किशनगंज: जिला परिषद क्षेत्र संख्या 10 कोचाधामन के जिला परिषद सदस्य इंजीनियर नासिक नदीर ने किशनगंज जिला पदाधिकारी को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपकर बिहार सरकार की खाली पड़ी सरकारी भूमि का सीमांकन कर उसे सेना स्टेशन के निर्माण में उपयोग करने की मांग की है। उनकी मांग का उद्देश्य सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना और सरकारी भूमि के उचित उपयोग को सुनिश्चित करना है।

1200 बीघा सरकारी जमीन पड़ी है बेकार
नासिक नदीर ने अपने ज्ञापन में कहा कि कोचाधामन और बहादुरगंज क्षेत्र में करीब 1200 बीघा सरकारी जमीन वर्षों से खाली और अनुपयोगी पड़ी हुई है। यह इलाका अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटा हुआ है, जिसके कारण सुरक्षा के लिहाज से इसे अत्यंत संवेदनशील माना जाता है। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी भूमि का उपयोग यदि सेना स्टेशन, मेडिकल कॉलेज, विश्वविद्यालय या अन्य आवश्यक सरकारी संस्थानों के लिए किया जाए, तो इससे इलाके को सुरक्षा और विकास—दोनों का लाभ मिलेगा।

क्षेत्र की घटनाओं ने बढ़ाई सुरक्षा ढाँचे की जरूरत
नदीर ने यह भी उल्लेख किया कि 2019 से 2025 तक क्षेत्र में कई घटनाएँ घटी हैं, जिन्होंने यह स्पष्ट कर दिया है कि मजबूत सुरक्षा ढाँचे की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस खाली सरकारी भूमि का इस्तेमाल सुरक्षा मजबूती के लिए अत्यंत उपयोगी साबित होगा।

किसानों की निजी जमीन अधिग्रहण पर आपत्ति
ज्ञापन में नासिक नदीर ने यह भी बताया कि प्रशासन द्वारा शकूर गांव, नटवापरा, सतभिट्ठा सहित कुछ अन्य गांवों में किसानों की निजी जमीन पर सेना कैंप बनाने की तैयारी की जा रही है। स्थानीय किसानों ने बताया है कि यही जमीन उनकी रोजी-रोटी का एकमात्र साधन है। ऐसे में निजी भूमि अधिग्रहण से किसानों के विस्थापन और आजीविका संकट की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी।
नदीर ने जिला प्रशासन से मांग की कि किसानों की निजी जमीन अधिग्रहित करने के बजाय सरकारी जमीन पर ही सेना स्टेशन का निर्माण कराया जाए, ताकि ग्रामीणों को किसी भी तरह का नुकसान न हो।
जन आंदोलन की चेतावनी
अपने ज्ञापन में नदीर ने स्पष्ट कहा कि अगर प्रशासन ने उनकी मांगों पर समय रहते ध्यान नहीं दिया, तो कोचाधामन और बहादुरगंज क्षेत्र में बड़े पैमाने पर धरना-प्रदर्शन की स्थिति पैदा हो सकती है। उन्होंने जिला पदाधिकारी से आग्रह किया कि जनहित को प्राथमिकता देते हुए इस विषय पर शीघ्र और सकारात्मक निर्णय लिया जाए।
वरिष्ठ अधिकारियों को भी भेजी प्रतिलिपि
नदीर ने इस मुद्दे की प्रतिलिपि संबंधित वरीय अधिकारियों को भी प्रेषित की है, ताकि मामले पर गंभीरता से विचार कर उचित कार्रवाई की जा सके।
नासिक नदीर की इस पहल को स्थानीय लोगों का समर्थन मिल रहा है, और अब नजर जिला प्रशासन की तरफ है कि वह इस जनहित याचिका पर कब और कैसा निर्णय लेता है।
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