महिलाओं और किशोरियों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रही सामाजिक संस्था जनता एक्सप्रेस वेलफेयर फाउंडेशन ने एक बार फिर सराहनीय पहल करते हुए सिलाई प्रशिक्षण ले रहीं महिलाओं के बीच उपयोगी बैग वितरित किए। यह आयोजन संस्था की सचिव रोशनी परवीन के नेतृत्व में स्थानीय सिलाई सेंटर में किया गया, जहां दो दर्जन से अधिक महिलाओं और किशोरियों को बैग प्रदान किए गए।

महिलाओं की जरूरतों को समझते हुए की गई पहल
कार्यक्रम के दौरान रोशनी परवीन ने बताया कि ये बैग महिलाओं की रोजमर्रा की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए दिए गए हैं। प्रशिक्षण के दौरान वे इन बैगों का उपयोग अपने सिलाई सामान, निजी आवश्यकताओं और दस्तावेजों को सुरक्षित रखने के लिए कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि फाउंडेशन का उद्देश्य केवल प्रशिक्षण देना ही नहीं, बल्कि महिलाओं को हर उस संसाधन से जोड़ना है जो उन्हें आत्मनिर्भरता की राह पर ले जाए।

समाजसेवियों ने बढ़ाया हौसला
इस अवसर पर प्रमुख समाजसेवी डॉ. आमिर मिनहाज, तौकीर हुसैन और अंजार आलम बतौर विशेष अतिथि मौजूद रहे। उन्होंने न केवल महिलाओं को प्रोत्साहित किया, बल्कि फाउंडेशन की ओर से किए जा रहे कार्यों की सराहना भी की। डॉ. आमिर मिनहाज ने कहा, “जनता एक्सप्रेस वेलफेयर फाउंडेशन समाज के कमजोर वर्ग, विशेषकर महिलाओं के लिए जो कार्य कर रही है, वह वास्तव में अनुकरणीय है। इस तरह के कार्यक्रम समाज को जागरूक और प्रेरित करते हैं।”

सिलाई सेंटर बना आत्मनिर्भरता की राह
फाउंडेशन द्वारा संचालित सिलाई प्रशिक्षण केंद्र में दर्जनों महिलाएं नियमित रूप से प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। प्रशिक्षण के दौरान उन्हें आधुनिक सिलाई तकनीकों के साथ-साथ छोटे स्तर पर स्वरोजगार शुरू करने के लिए भी मार्गदर्शन दिया जाता है। इसका उद्देश्य है कि महिलाएं किसी पर निर्भर न रहकर खुद अपने पैरों पर खड़ी हो सकें।
संस्था कर रही है निरंतर प्रयास
कार्यक्रम के अंत में सचिव रोशनी परवीन ने आश्वासन दिया कि फाउंडेशन आगे भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करता रहेगा, ताकि समाज की हर जरूरतमंद महिला को लाभ मिल सके। उन्होंने कहा, “महिलाओं की छोटी-बड़ी जरूरतों को समझना और समय पर समाधान देना ही असली सशक्तिकरण है। हमारी संस्था इसी सोच के साथ काम कर रही है।”
नारी शक्ति को समर्पित एक कदम और
यह आयोजन न केवल एक सामाजिक सेवा कार्यक्रम था, बल्कि महिलाओं के प्रति एक गहरी प्रतिबद्धता और सम्मान का प्रतीक भी बन गया। इस पहल से जहां महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ा है, वहीं समाज में एक सकारात्मक संदेश भी गया है कि सही दिशा में किए गए छोटे प्रयास भी बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
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