किशनगंज: जिले में सड़कों पर दौड़ती अधिकांश बसें अब यात्रियों की सुविधा नहीं, बल्कि उनके लिए खतरे का सबब बनती जा रही हैं। हाल ही में ओवरब्रिज पर एक बस में आग लगने की घटना ने यात्रियों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बसों में न तो इमरजेंसी विंडो काम कर रही हैं, न ही जरूरी सुरक्षा उपकरण मौजूद हैं।

खराब उपकरण, बढ़ता खतरा
जांच में पाया गया है कि अधिकतर बसों में आपातकालीन निकास खिड़कियां जाम हो चुकी हैं या पूरी तरह अनुपस्थित हैं। वहीं, फायर एक्सटिंग्विशर और प्राथमिक चिकित्सा किट जैसी अनिवार्य वस्तुएं बसों से गायब हैं। ये खामियां आपात स्थिति में यात्रियों की जान जोखिम में डाल सकती हैं।

हादसे दे चुके हैं चेतावनी
हाल ही में ओवरब्रिज पर हुई आगजनी की घटना में, बस में सवार यात्रियों को निकालने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। गनीमत रही कि कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन यह घटना भविष्य की बड़ी दुर्घटनाओं का संकेत दे रही है।

लागत बचाने के चक्कर में नियमों की अनदेखी
स्थानीय लोगों और यात्रियों का कहना है कि बस ऑपरेटर सुरक्षा उपकरणों की खरीद-स्थापना से बचने के लिए नियमों की खुलेआम अनदेखी कर रहे हैं। रमेश कुमार, एक नियमित यात्री, बताते हैं, “हम रोजाना जान हथेली पर रखकर यात्रा करते हैं। प्रशासन को सख्ती करनी चाहिए।”
नियमित जांच की कमी
परिवहन विभाग के सूत्रों के अनुसार, अधिकांश बसों का नियमित निरीक्षण नहीं हो रहा है। नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और बसें बिना मानकों के सड़कों पर दौड़ रही हैं। विशेषज्ञों की राय में, नियमित जांच और कड़ी कार्रवाई से हालात सुधर सकते हैं।
प्रशासन से अपेक्षा
अब समय है कि प्रशासन इस गंभीर मामले को प्राथमिकता पर ले और सभी बसों की सुरक्षा जांच सुनिश्चित करे। नियमों का उल्लंघन करने वाले बस ऑपरेटरों पर जुर्माना और लाइसेंस रद्द जैसी कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में किसी बड़ी दुर्घटना को रोका जा सके।
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