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अररिया में सड़क हादसों का साया: तीन वर्षों में 459 लोगों की मौत

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बिहार के अररिया जिले में सड़क हादसे अब एक गंभीर चिंता का विषय बन चुके हैं। बीते तीन वर्षों के भीतर जिले में सड़क दुर्घटनाओं का ग्राफ तेजी से बढ़ा है और सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। ताजा आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2023 से लेकर जून 2025 तक कुल 533 सड़क दुर्घटनाओं में 459 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि सैकड़ों लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं।

अररिया में सड़क हादसों का साया: तीन वर्षों में 459 लोगों की मौत
अररिया में सड़क हादसों का साया: तीन वर्षों में 459 लोगों की मौत

2023-2025: दुर्घटनाओं और मौतों का खौफनाक आंकड़ा

  • 2023: 213 दुर्घटनाएं, 177 मौतें
  • 2024: 229 दुर्घटनाएं, 213 मौतें, 146 घायल
  • 2025 (अब तक): 91 दुर्घटनाएं, 69 मौतें

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि अररिया में सड़क हादसों की दर लगातार बढ़ रही है, और प्रशासनिक प्रयासों के बावजूद इनमें कोई ठोस कमी नहीं आई है।

अररिया में सड़क हादसों का साया: तीन वर्षों में 459 लोगों की मौत
अररिया में सड़क हादसों का साया: तीन वर्षों में 459 लोगों की मौत

क्या हैं हादसों की वजहें?

विशेषज्ञों और स्थानीय प्रशासन के अनुसार, इन हादसों के पीछे कई गंभीर और संरचनात्मक कारण हैं:

  • अनट्रेंड ड्राइवर: जिले में बड़ी संख्या में ऐसे चालक सड़कों पर हैं, जिन्हें न तो ट्रैफिक नियमों की जानकारी है और न ही सही प्रशिक्षण मिला है। ऐसे चालक अक्सर तेज रफ्तार में वाहन चलाते हैं और नियमों का उल्लंघन करते हैं।
  • खराब और अधूरी सड़कें: सड़कों की हालत जर्जर है। कई जगहों पर गड्ढे, संकरी लेन और बिना संकेतक बोर्ड वाली सड़कें हादसों को न्योता देती हैं। नेशनल और स्टेट हाईवे पर भी मरम्मत और चौड़ीकरण का काम सालों से लंबित है।
  • संकेतकों की कमी: कई अहम मोड़ों और क्रॉसिंग पर न तो ट्रैफिक लाइट्स हैं और न ही दिशा सूचक संकेतक। इससे वाहन चालकों को समय रहते निर्णय लेने में कठिनाई होती है।
  • वाहनों की बढ़ती संख्या: जिले में निजी वाहनों और भारी मालवाहक ट्रकों की संख्या में वृद्धि हुई है, लेकिन इसके अनुरूप सड़क का ढांचा तैयार नहीं हो पाया है।

प्रशासन की कोशिशें नाकाफी

यातायात डीएसपी दीवान एकराम खान ने बताया कि जिले में लगातार वाहन चेकिंग अभियान चलाए जा रहे हैं और लोगों को ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूक किया जा रहा है। इसके बावजूद सड़क हादसों में कमी नहीं आ रही है। उन्होंने माना कि लोगों में नियमों के प्रति गंभीरता की कमी है और सड़क सुरक्षा को लेकर प्रशासन के प्रयास ज़रूरत से कम असरदार साबित हो रहे हैं।

समाधान क्या है?

विशेषज्ञों और स्थानीय सामाजिक संगठनों की मानें तो इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए सिर्फ अभियान नहीं, बल्कि ठोस और दीर्घकालिक समाधान की जरूरत है। इनमें प्रमुख सुझाव हैं:

  • ड्राइवरों को अनिवार्य प्रशिक्षण देना
  • सड़क नेटवर्क का विस्तारीकरण और गुणवत्ता में सुधार
  • हर चौराहे और मोड़ पर स्पष्ट ट्रैफिक संकेतक लगाना
  • ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर सख्त दंड और निगरानी
  • स्कूलों, कॉलेजों और गांवों में व्यापक जागरूकता अभियान चलाना
निष्कर्ष

अररिया में सड़क हादसे अब सिर्फ आंकड़े नहीं रहे, बल्कि हर मौत के साथ एक परिवार उजड़ रहा है। जरूरत है कि प्रशासन, समाज और आम जनता मिलकर इस गंभीर संकट से निपटने के लिए कदम उठाएं, ताकि भविष्य में कोई और मासूम अपनी जान न गंवाए।

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