बेखौफ जुबां बे बाक अंदाज

Home » लेटेस्ट न्यूज़ » किशनगंज में हड़ताल पर ग्रामीण आवास कर्मी

किशनगंज में हड़ताल पर ग्रामीण आवास कर्मी

Share Now :

WhatsApp

किशनगंज: बिहार में ग्रामीण आवास योजनाओं की रीढ़ माने जाने वाले ग्रामीण आवास कर्मी इन दिनों खुद अपनी बुनियादी मांगों को लेकर सड़क पर उतर आए हैं। राज्य ग्रामीण आवास कर्मी संघ के बैनर तले किशनगंज जिले के रुइधासा मैदान में आवास सहायक, लेखा सहायक और पर्यवेक्षक लगातार हड़ताल पर हैं। यह हड़ताल अब लंबी होती जा रही है, और इसका सीधा असर गरीबों के लिए संचालित सरकारी आवास योजनाओं पर पड़ रहा है।

किशनगंज में हड़ताल पर ग्रामीण आवास कर्मी
किशनगंज में हड़ताल पर ग्रामीण आवास कर्मी

13 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन जारी

हड़ताल पर बैठे कर्मियों की मांगें लंबी हैं, लेकिन मुख्य रूप से वे सेवा स्थायीकरण, मानदेय में सम्मानजनक बढ़ोतरी, सामाजिक सुरक्षा, बीमा कवरेज और भविष्य निधि जैसी बुनियादी सुविधाओं की मांग कर रहे हैं। ग्रामीण आवास सहायकों का कहना है कि वे 2014 से लगातार सेवाएं दे रहे हैं, फिर भी उन्हें स्थायीत्व नहीं दिया गया है और ना ही उनकी मेहनत के मुताबिक वेतन।

किशनगंज में हड़ताल पर ग्रामीण आवास कर्मी
किशनगंज में हड़ताल पर ग्रामीण आवास कर्मी

13,000 रुपये में गुजर-बसर मुश्किल

हड़ताल पर बैठे कर्मियों ने बताया कि वर्तमान में उन्हें मात्र ₹13,000 प्रतिमाह मानदेय दिया जा रहा है, जो न्यूनतम मजदूरी से भी कम है। इस राशि में घर चलाना, बच्चों की पढ़ाई, चिकित्सा और रोज़मर्रा के खर्च पूरे कर पाना संभव नहीं है। वे मानते हैं कि सरकार की उदासीनता ने उन्हें आंदोलन के लिए विवश किया है।

किशनगंज में हड़ताल पर ग्रामीण आवास कर्मी
किशनगंज में हड़ताल पर ग्रामीण आवास कर्मी

सरकारी योजनाओं पर असर

ग्रामीण आवास योजना के तहत जिन गरीबों को घर मिलने थे, उनकी फाइलें और भुगतान की प्रक्रिया ठप पड़ गई है। हड़ताल के कारण न सिर्फ योजना की गति थमी है, बल्कि लाभुकों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कुछ लाभार्थियों ने तो यहां तक कहा कि “सरकार घर का वादा करती है, लेकिन अब अधिकारी ही नहीं मिलते तो हम कहां जाएं?”

किशनगंज में हड़ताल पर ग्रामीण आवास कर्मी
किशनगंज में हड़ताल पर ग्रामीण आवास कर्मी
राजनीतिक प्रतिनिधियों से समर्थन की अपील

हड़ताली कर्मियों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों से समर्थन की मांग की है। इस सिलसिले में वे ज्ञापन सौंप चुके हैं। किशनगंज के जिला परिषद सदस्य नासिक नादिर रुइधासा मैदान में पहुंचे और कर्मियों को अपना समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि इन कर्मियों की मांगें पूरी तरह जायज़ हैं और सरकार को इन पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।

सरकार की चुप्पी पर नाराजगी

हड़ताली कर्मियों का कहना है कि सरकार उनकी बात तक सुनने को तैयार नहीं है। “हम दिन-रात मेहनत करते हैं, घर-घर जाकर रिपोर्ट बनाते हैं, दस्तावेज तैयार करते हैं, लेकिन हमारी स्थायी नौकरी और सामाजिक सुरक्षा पर कोई ध्यान नहीं देता,” एक आवास सहायक ने कहा।

निष्कर्ष:

इस हड़ताल ने एक बार फिर सरकारी योजनाओं और उनके क्रियान्वयन में लगे कर्मियों की अनदेखी को उजागर कर दिया है। सवाल यह है कि जब योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू करने वाले ही असंतुष्ट और उपेक्षित होंगे, तो उन योजनाओं का लाभ गरीबों तक कैसे पहुंचेगा? अब देखना यह है कि सरकार इन कर्मियों की जायज़ मांगों पर कब और कैसे प्रतिक्रिया देती है। फिलहाल तो गरीबों के घर अधूरे हैं और उन्हें बनाने वाले कर्मी खुद असुरक्षित और उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।

अधिक ताजा खबरों के लिए पढ़ें Jeb News.

Leave a Comment

error: jantaexpress is copyright content