कटिहार ज़िले के कोढ़ा प्रखंड के राजवाड़ा पंचायत में बिजली आपूर्ति की बदहाली को लेकर रविवार को ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। ग्रामीणों ने बिजली विभाग की अनदेखी और असमान व्यवहार के खिलाफ कटिहार-पूर्णिया राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) को पलटनीया चौक के पास पूरी तरह से जाम कर दिया। इस विरोध प्रदर्शन के चलते कई घंटे तक यातायात ठप रहा और दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं।

बिजली विभाग पर मनमानी का आरोप
ग्रामीणों ने बताया कि रौतारा और राजवाड़ा पंचायतों को पूर्णिया से बिजली आपूर्ति की जाती है। शनिवार की रात करीब 9 बजे अचानक राजवाड़ा पंचायत की बिजली पूरी तरह काट दी गई, जबकि रौतारा पंचायत में आपूर्ति जारी रही। बिजली विभाग ने इसे “लो वोल्टेज” का मामला बताया, लेकिन ग्रामीणों को इस तर्क पर भरोसा नहीं है।
स्थानीय आदिवासी विकास परिषद के सदस्यों सिनोद उरांव, पावन कुमार चौबे, पिंटू राय और भाष्कर चौबे ने आरोप लगाया कि बिजली विभाग का यह रवैया पक्षपातपूर्ण है और राजवाड़ा पंचायत को जानबूझकर अंधेरे में डाला जा रहा है। उन्होंने बताया कि जब ग्रामीणों ने बिजली बहाल करने की मांग की तो स्थानीय बिजली मिस्त्री ने साफ कहा कि “ऊपर से आदेश है, लाइन नहीं जोड़ी जाएगी।”

जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों का हस्तक्षेप
घटना की जानकारी मिलते ही प्रशासन हरकत में आया। मौके पर पूर्णिया सांसद पप्पू यादव के प्रतिनिधि नैयर खान, विधायक प्रतिनिधि गौरव पासवान, विधान पार्षद प्रतिनिधि, अंचल पदाधिकारी, कोढ़ा थानाध्यक्ष सोनू कुमार और बिजली विभाग के कनीय अभियंता श्रवण कुमार पहुंचे।
अधिकारियों ने ग्रामीणों से बातचीत कर समस्या के समाधान का आश्वासन दिया और कहा कि जल्द ही राजवाड़ा पंचायत की बिजली व्यवस्था में सुधार किया जाएगा। आश्वासन मिलने के बाद ग्रामीणों ने जाम हटाया और राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात फिर से सामान्य हो सका।
जनप्रतिनिधियों की भी मौजूदगी
प्रदर्शन में मुखिया प्रतिनिधि हसन राजा, उप मुखिया पप्पू राय, पंचायत समिति सदस्य प्रतिनिधि अवधेश कुमार राय, उप सरपंच शंभू चौबे समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए। सभी ने एक स्वर में बिजली विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए और निष्पक्ष बिजली आपूर्ति की मांग की।
ग्रामीणों की मांग
प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि अगर भविष्य में भी ऐसी मनमानी जारी रही और राजवाड़ा पंचायत के साथ भेदभाव हुआ तो वे उग्र आंदोलन करेंगे। उन्होंने मांग की कि बिजली आपूर्ति की निगरानी के लिए स्थायी समाधान निकाला जाए, जिससे ग्रामीणों को बार-बार परेशानी का सामना न करना पड़े।
निष्कर्ष:
कटिहार के ग्रामीणों का यह विरोध स्पष्ट संकेत है कि बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं में असमानता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जनता अब अपने हक़ के लिए सड़क पर उतरने से पीछे नहीं हट रही है। प्रशासन और बिजली विभाग को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों और हर पंचायत को समान रूप से सुविधाएं मिलें।
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