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किशनगंज में वोटर वेरिफिकेशन की जमीनी हकीकत सवालों के घेरे में

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किशनगंज | बिहार में इन दिनों मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान जोरशोर से चलाया जा रहा है, लेकिन किशनगंज जैसे मुस्लिम बहुल सीमावर्ती जिले में इस प्रक्रिया की पारदर्शिता और गंभीरता पर सवाल उठने लगे हैं। जहां एक ओर चुनाव आयोग के सूत्रों के हवाले से दावा किया गया कि मतदाता सूची में घुसपैठ की जांच हो रही है, वहीं जब TV9 भारतवर्ष के संवाददाता कासिम अल कौसरी ने जमीनी स्तर पर इसकी पड़ताल की, तो हकीकत कुछ और ही निकली।

किशनगंज में वोटर वेरिफिकेशन की जमीनी हकीकत सवालों के घेरे में
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घर-घर नहीं, वार्ड और विद्यालयों में भरवाए जा रहे फॉर्म

चुनाव आयोग का स्पष्ट निर्देश है कि गणना प्रपत्र (फॉर्म 6/7/8 आदि) घर-घर जाकर भरवाए जाएं ताकि वास्तविक नागरिकों की पहचान सुनिश्चित हो सके। लेकिन किशनगंज में ब्लॉक लेवल ऑफिसर (BLO) या तो विद्यालयों या फिर वार्ड स्तर पर तय किसी सार्वजनिक स्थल पर मतदाताओं को बुलाकर ही यह प्रक्रिया पूरी कर रहे हैं। यानी लोग खुद अपने दस्तावेज लेकर BLO के पास पहुंचते हैं, जहां उनका फॉर्म भरा जाता है।

किशनगंज में वोटर वेरिफिकेशन की जमीनी हकीकत सवालों के घेरे में
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दस्तावेजों की जांच में लापरवाही

जमीनी रिपोर्टिंग के दौरान सामने आया कि दस्तावेजों की प्रामाणिकता जांचने की कोई ठोस प्रक्रिया लागू नहीं है। मतदाता जो कागजात लेकर पहुंचते हैं, उन्हें बिना गहन सत्यापन के स्वीकार कर लिया जाता है। ऐसे में यह सुनिश्चित करना मुश्किल है कि फार्म भरने वाला व्यक्ति भारतीय नागरिक है या नहीं।

यह पहलू खास तौर पर तब चिंताजनक हो जाता है जब पूर्णिया और किशनगंज जैसे सीमावर्ती जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा बीजेपी नेताओं द्वारा जोर-शोर से उठाया जा चुका है।

किशनगंज में वोटर वेरिफिकेशन की जमीनी हकीकत सवालों के घेरे में
किशनगंज में वोटर वेरिफिकेशन की जमीनी हकीकत सवालों के घेरे में

BLOs को “बयान देने से मना”

जब संवाददाता ने इस संबंध में BLOs से बात करनी चाही, तो उन्होंने कहा कि वे बयान देने के लिए अधिकृत नहीं हैं। उन्हें वरीय अधिकारियों द्वारा मीडिया से दूरी बनाए रखने का निर्देश दिया गया है। यह रवैया पारदर्शिता और जवाबदेही की भावना के विपरीत माना जा रहा है।

विपक्ष और आम लोगों की प्रतिक्रियाएं

इस मुद्दे को लेकर जहां एक ओर बीजेपी ने बांग्लादेशी नागरिकों के फर्जी तरीके से वोटर बनने का आरोप लगाया है, वहीं आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग के सूत्रों के हवाले से दी जा रही खबरों पर तंज कसते हुए कहा था, “यह सूत्र नहीं, मूत्र के हवाले से खबरें दी जा रही हैं।”

उधर, आम नागरिकों में भी इस प्रक्रिया को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं हैं। कुछ का कहना है कि उन्हें पता ही नहीं चला कि उनके वार्ड में कब और कहां फॉर्म भरे जा रहे हैं। कई लोग अब तक अपने दस्तावेज जमा नहीं कर सके हैं।


निष्कर्ष

किशनगंज में मतदाता सूची पुनरीक्षण का कार्य चुनाव आयोग की गाइडलाइन के अनुरूप नहीं चल रहा है। न तो फॉर्म भरने की प्रक्रिया पारदर्शी है, न ही दस्तावेजों की जांच सुनिश्चित की जा रही है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या यह प्रक्रिया वास्तव में घुसपैठियों की पहचान और फर्जी वोटरों को बाहर करने में सक्षम है?

जब तक जमीनी स्तर पर सख्ती, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित नहीं की जाती, तब तक सीमावर्ती जिलों में मतदाता सूची की विश्वसनीयता पर सवाल उठते रहेंगे। चुनाव आयोग को चाहिए कि वह इन इलाकों में विशेष निगरानी और ऑडिट टीमों को भेजकर हकीकत की पुष्टि करे।

अधिक ताजा खबरों के लिए पढ़ें Jeb News.

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