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अररिया के ग्रामीण 10 सालों से सड़क की मांग कर रहे

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अररिया, बिहार – बिहार के अररिया जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत बसंतपुर पंचायत के वार्ड नंबर 3 में रहने वाले करीब 100 परिवार हर साल मानसून के मौसम में नारकीय स्थिति का सामना कर रहे हैं। पिछले 10 वर्षों से ग्रामीण पक्की सड़क की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी आवाजें अब तक प्रशासन तक नहीं पहुंच सकी हैं। नतीजतन, हर बारिश के मौसम में यह गांव मुख्य सड़क से पूरी तरह कट जाता है।

अररिया के ग्रामीण 10 सालों से सड़क की मांग कर रहे
अररिया के ग्रामीण 10 सालों से सड़क की मांग कर रहे

सड़क नहीं, सिर्फ पानी ही पानी

गांव को मुख्य सड़क से जोड़ने वाला कोई पक्का रास्ता नहीं है। बारिश आते ही यह कच्चा रास्ता जलमग्न हो जाता है। कई जगहों पर तो रास्तों पर 15 से 20 फीट तक पानी बहता है, जिससे गांव पूरी तरह अलग-थलग हो जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि एक महीने तक कोई व्यक्ति गांव के अंदर से बाहर नहीं निकल सकता।

अररिया के ग्रामीण 10 सालों से सड़क की मांग कर रहे
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बीमारों और गर्भवती महिलाओं के लिए संकट

स्थानीय निवासी अरुण शर्मा बताते हैं, “बाढ़ के दौरान अगर कोई महिला गर्भवती हो या किसी को आपात इलाज की जरूरत हो, तो हम कुछ नहीं कर सकते। अस्पताल ले जाना तो नामुमकिन हो जाता है।” अरुण खुद एक नाव हादसे का शिकार हो चुके हैं, जिसमें उनके पैर टूट गए थे।

गांव में अधिकांश लोग मजदूरी कर अपनी जीविका चलाते हैं। लेकिन बारिश के दिनों में बाहर काम पर जाना भी संभव नहीं होता। इससे परिवारों के सामने भोजन का संकट खड़ा हो जाता है।

अररिया के ग्रामीण 10 सालों से सड़क की मांग कर रहे
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शिक्षा भी हो रही प्रभावित

गांव की छात्राएं अंशु कुमारी और मधु कुमारी, जो कक्षा 10वीं में पढ़ती हैं, कहती हैं कि बरसात में स्कूल जाना नामुमकिन हो जाता है। कई बार उनकी परीक्षाएं भी छूट जाती हैं। रूको देवी, जो गांव की एक बुजुर्ग महिला हैं, कहती हैं, “बरसात के एक महीने तक घर से बाहर निकलना भी खतरे से खाली नहीं होता।”

अररिया के ग्रामीण 10 सालों से सड़क की मांग कर रहे
अररिया के ग्रामीण 10 सालों से सड़क की मांग कर रहे
10 साल से कर रहे हैं सड़क की मांग, लेकिन कोई सुनवाई नहीं

ग्रामीणों का कहना है कि पिछले एक दशक से वे स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से पक्की सड़क की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई। बार-बार आवेदन देने के बावजूद आज तक न तो कोई सर्वे हुआ और न ही कोई योजना बनी।

प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी

इस गंभीर समस्या पर स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी सवाल खड़े करती है। गांव के लोगों का कहना है कि चुनाव के समय नेता वादे तो करते हैं, लेकिन जीत के बाद कोई लौटकर नहीं आता।

ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनी

अब ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही पक्की सड़क निर्माण की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो वे सामूहिक आंदोलन करेंगे। उनका कहना है कि यह सिर्फ सड़क की नहीं, बल्कि सम्मान और जीवन की लड़ाई है।

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