बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव ने शनिवार को एक बड़ा बयान देकर सियासी हलचल मचा दी। उन्होंने दावा किया कि उनका और उनकी पत्नी का नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया है। हालांकि, उनके इस बयान पर पटना के जिलाधिकारी (DM) और चुनाव आयोग दोनों ने कड़ा जवाब देते हुए कहा है कि तेजस्वी यादव का नाम मतदाता सूची में मौजूद है और उनका दावा तथ्यहीन है।

तेजस्वी का दावा: “नाम हट गया, अब मैं चुनाव कैसे लड़ूंगा?”
पटना में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी यादव ने कहा,
“हमारे यहां BLO (बूथ लेवल ऑफिसर) आई थीं, उन्होंने हमारा सत्यापन किया। इसके बावजूद मेरा नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया है। जब मेरा नाम ही नहीं है तो मेरी पत्नी का नाम कैसे होगा? अब मैं चुनाव कैसे लड़ूंगा?”
तेजस्वी ने यह भी बताया कि उन्होंने अपनी वोटर आईडी का EPIC नंबर इस्तेमाल कर ऑनलाइन वोटर लिस्ट में अपना नाम खोजने की कोशिश की, लेकिन स्क्रीन पर “NO RECORDS FOUND” दिखा। उन्होंने इस प्रक्रिया को मीडिया के सामने लाइव दिखाया, जिससे उनके दावे को गंभीरता से लिया जाने लगा।

पत्नी के नाम को लेकर भी सवाल
जब एक पत्रकार ने उनसे पूछा कि क्या उनकी पत्नी का वोटर आईडी बना है, तो तेजस्वी ने जवाब दिया,
“जब मेरा ही नाम नहीं है, तो मेरी पत्नी का नाम कैसे बन सकता है?”
इस बयान से यह संकेत मिला कि तेजस्वी इस मुद्दे को चुनावी साजिश के रूप में देख रहे हैं।

पटना DM ने किया दावा खारिज, पेश किए प्रमाण
तेजस्वी यादव के इस दावे के बाद पटना के जिलाधिकारी एस.एन. त्यागराजन ने तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए उनके आरोप को निराधार बताया। DM ने स्पष्ट किया कि तेजस्वी यादव का नाम प्रारूप मतदाता सूची (Draft Electoral Roll) में क्रम संख्या 416 पर दर्ज है।
उन्होंने कहा:
“कुछ समाचार माध्यमों के जरिए हमें जानकारी मिली कि तेजस्वी यादव का नाम विशेष गहन पुनरीक्षण के प्रारूप मतदाता सूची में नहीं है। लेकिन जांच के बाद पाया गया कि उनका नाम मतदान केंद्र संख्या 204, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के पुस्तकालय भवन में क्रमांक 416 पर मौजूद है।”

DM ने यह भी बताया कि पहले उनका नाम मतदान केंद्र संख्या 171, क्रमांक 481 पर था, जिसे बाद में स्थानांतरित कर दिया गया है।
चुनाव आयोग ने भी किया दावे को ‘शरारतपूर्ण’ करार
इस पूरे विवाद में चुनाव आयोग ने भी प्रतिक्रिया दी है। आयोग ने तेजस्वी यादव के बयान को “शरारतपूर्ण और तथ्यात्मक रूप से गलत” बताया है।
आयोग की ओर से जारी बयान में कहा गया,
“तेजस्वी यादव ने जो दावा किया है कि उनका नाम ड्राफ्ट मतदाता सूची में नहीं है, वह पूरी तरह से गलत है। उनका नाम सूची में क्रमांक 416 पर दर्ज है। इस प्रकार उनका बयान भ्रामक और तथ्यहीन है।”
क्या है विवाद की जड़?
इस पूरे घटनाक्रम से दो मुख्य बातें उभर कर सामने आती हैं:
- डेटा एंट्री या सर्च में तकनीकी गड़बड़ी: तेजस्वी यादव ने जिस EPIC नंबर से सर्च किया, उसमें तकनीकी गड़बड़ी या गलत डिटेल्स की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
- राजनीतिक रणनीति या प्रशासनिक भ्रम?: विपक्ष के नेता होने के नाते तेजस्वी यादव इस मुद्दे को चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाने के लिए उठा सकते हैं। वहीं प्रशासन इसे एक तथ्यात्मक चूक के रूप में देख रहा है।
निष्कर्ष
वोटर लिस्ट में नाम को लेकर उठे इस विवाद ने बिहार की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। तेजस्वी यादव के दावे को लेकर जहां एक ओर प्रशासन और आयोग ने दस्तावेज़ों के साथ जवाब दिया है, वहीं दूसरी ओर इस मुद्दे को लेकर राजनैतिक बयानबाज़ी और आरोप-प्रत्यारोप की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
आगे यह देखना दिलचस्प होगा कि तेजस्वी यादव इस मामले में क्या अगला कदम उठाते हैं और क्या चुनाव आयोग इस विवाद को सुलझाने के लिए कोई विशेष कार्रवाई करता है।
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