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पप्पू यादव का बड़ा बयान: “जब संविधान और लोकतंत्र की रक्षा न हो पाए

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पूर्णिया से निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने संसद के भीतर एक जोरदार बयान देकर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। उन्होंने संसद की कार्यवाही के दौरान देश के मौजूदा राजनीतिक हालात पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि “जब संविधान और लोकतंत्र की रक्षा न हो पाए, तो सदन के चलने का कोई मतलब नहीं रह जाता।”

संसद के मानसून सत्र में बोलते हुए पप्पू यादव ने कहा,

“चुनाव संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए होते हैं, लेकिन जब यही दोनों चीजें खतरे में हों, तो सदन चलाना बेमानी हो जाता है। आज ‘SIR’ (संभावित रूप से एक राजनीतिक नेतृत्व की ओर संकेत करते हुए) देश और लोकतंत्र के लिए खतरा बन गया है।”

पप्पू यादव का बड़ा बयान: "जब संविधान और लोकतंत्र की रक्षा न हो पाए
पप्पू यादव का बड़ा बयान: “जब संविधान और लोकतंत्र की रक्षा न हो पाए

संसद में गूंजा विरोध का स्वर

पप्पू यादव के इस बयान के बाद सदन में कुछ देर के लिए हंगामा देखने को मिला। सरकार के पक्ष में बैठे कई सांसदों ने उनके बयान का विरोध किया और उसे असंवैधानिक करार दिया। वहीं, विपक्षी बेंचों से समर्थन में कुछ आवाजें भी उठीं।

पप्पू यादव का बड़ा बयान: "जब संविधान और लोकतंत्र की रक्षा न हो पाए
पप्पू यादव का बड़ा बयान: “जब संविधान और लोकतंत्र की रक्षा न हो पाए

क्या है पप्पू यादव के बयान का अर्थ?

पप्पू यादव के इस बयान को कई राजनीतिक विश्लेषक मौजूदा सरकार की कार्यशैली पर सीधा हमला मान रहे हैं। उन्होंने जिस “SIR” शब्द का उपयोग किया, उसे लेकर राजनीतिक गलियारों में अटकलें लगाई जा रही हैं कि उनका इशारा किस नेतृत्व की ओर था।

उनका यह बयान देश में हाल ही में हुए कुछ संवेदनशील मुद्दों और लोकतांत्रिक संस्थाओं पर बढ़ते सवालों के संदर्भ में देखा जा रहा है। विपक्ष लगातार सरकार पर संवैधानिक संस्थाओं के दुरुपयोग और लोकतंत्र को कमजोर करने के आरोप लगाता रहा है।

 

पप्पू यादव की राजनीतिक स्थिति

पप्पू यादव बिहार के कद्दावर नेता माने जाते हैं और सामाजिक कार्यों को लेकर भी अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। निर्दलीय सांसद होते हुए भी वे संसद में अपनी स्पष्ट और तीखी बातों के लिए जाने जाते हैं। वे कई बार जनता से जुड़े मुद्दों को लेकर सरकार को घेर चुके हैं।

निष्कर्ष

पप्पू यादव का यह बयान ऐसे समय आया है जब संसद में कई महत्वपूर्ण विधेयक पेश होने वाले हैं और विपक्ष सरकार की नीतियों पर पहले से हमलावर है। उनका यह बयान आने वाले दिनों में राजनीतिक बहस का केंद्र बन सकता है और सरकार को एक बार फिर जवाब देने की स्थिति में ला सकता है।

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