किशनगंज, बिहार:
बिहार के किशनगंज जिले के दिघलबैंक थाना क्षेत्र से एक गंभीर और संवेदनशील मामला सामने आया है, जहां एक 17 वर्षीय नाबालिग लड़की की शादी आखिरी समय में जिला प्रशासन और चाइल्ड हेल्पलाइन की सतर्कता से रुकवा दी गई। लड़की शादी के पूरे लिबास में सजकर तैयार थी, बारात दरवाजे पर थी, लेकिन तभी प्रशासनिक टीम ने मौके पर पहुंचकर यह विवाह रुकवा दिया।

सूचना मिलते ही सक्रिय हुई टीम
यह कार्रवाई उस वक्त संभव हो पाई जब स्थानीय सूत्रों से जन निर्माण केंद्र और चाइल्ड हेल्पलाइन को शादी की सूचना मिली। त्वरित कार्रवाई करते हुए जिला परियोजना समन्वयक मोहम्मद मुजाहिद आलम के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई, जिसमें दिघलबैंक अंचल अधिकारी गीतिका गरिमा, स्थानीय मुखिया मोहम्मद जैद अजीज और पुलिस प्रशासन शामिल थे।

परिवार को दी गई कानून और खतरे की जानकारी
टीम ने मौके पर पहुंचकर पहले परिवार से बातचीत की और उन्हें बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के प्रावधानों की जानकारी दी। उन्हें बताया गया कि 18 साल से कम उम्र की लड़की की शादी कराना गैर-जमानती अपराध है, जिससे न केवल उसका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है, बल्कि उसकी शिक्षा और भविष्य भी खतरे में पड़ जाता है।
अधिकारियों ने परिवार को समझाया कि ऐसा कदम बच्ची के जीवन को लंबे समय तक प्रभावित कर सकता है। परिवार ने टीम की बातों को समझा और शादी रोकने का फैसला लिया। साथ ही उन्होंने लिखित रूप से यह शपथ पत्र भी भरा कि लड़की की शादी अब केवल 18 वर्ष की आयु पूरी होने के बाद ही की जाएगी।

शपथ पत्र भरवाया गया, चेतावनी भी दी गई
सदर अंचल अधिकारी गीतिका गरिमा ने स्पष्ट किया कि यदि परिवार दोबारा बाल विवाह की कोशिश करता है तो उन पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा:
“नाबालिग की शादी करवाना कानूनन अपराध है और इससे बच्चों का भविष्य अंधकार में चला जाता है। समाज में बदलाव तभी आएगा जब लोग इस विषय पर जागरूक होंगे।”
स्थानीय संस्थाओं की भी रही अहम भूमिका
इस अभियान में जन निर्माण केंद्र और चाइल्ड हेल्पलाइन की टीम का अहम योगदान रहा। मौके पर संस्था के सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद जफर अंजुम, सबीह अनवर, परियोजना समन्वयक मनोज कुमार सिंह और सुपरवाइजर अब्दुल कय्यूम भी मौजूद थे।
निजी जागरूकता से सामूहिक बदलाव तक
इस तरह की कार्रवाई से यह स्पष्ट होता है कि प्रशासन और सामाजिक संगठनों की सतर्कता के चलते अब बाल विवाह के खिलाफ माहौल बन रहा है। हालांकि ग्रामीण इलाकों में यह प्रथा अभी भी गहराई तक फैली है, लेकिन समय रहते की गई ऐसी पहलें समाज में सकारात्मक बदलाव की नींव रखती हैं।
निष्कर्ष:
किशनगंज में समय पर की गई प्रशासनिक कार्रवाई से एक और नाबालिग बच्ची को बाल विवाह के दुष्चक्र से बचा लिया गया। यह उदाहरण दर्शाता है कि जब समाज और प्रशासन मिलकर काम करते हैं, तो पुरानी कुप्रथाओं को भी खत्म किया जा सकता है।
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