किशनगंज: बिहार की राजनीति में सीमांचल क्षेत्र एक बार फिर सुर्खियों में है। किशनगंज जिले के ठाकुरगंज विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक गोपाल अग्रवाल ने जनता दल यूनाइटेड (JDU) का दामन थाम लिया है। पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने JDU की सदस्यता ली। इस दौरान पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा, वरिष्ठ नेता नौशाद आलम, प्रहलाद सरकार समेत कई प्रमुख नेता मौजूद रहे।

राजनीतिक समीकरणों में बदलाव के संकेत
JDU में गोपाल अग्रवाल की वापसी को सीमांचल की राजनीति में बड़ा बदलाव माना जा रहा है। पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने उनके शामिल होने को पार्टी के लिए ‘सियासी मजबूती’ करार दिया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में गोपाल अग्रवाल को ठाकुरगंज सीट से टिकट दिया जा सकता है। यह बयान स्पष्ट संकेत देता है कि JDU अब सीमांचल में अपनी राजनीतिक स्थिति को फिर से मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रही है।

ठाकुरगंज सीट का इतिहास और महत्त्व
ठाकुरगंज विधानसभा क्षेत्र बिहार के किशनगंज जिले में स्थित है और यह सामान्य श्रेणी की सीट है। 1951 में गठित इस सीट पर अब तक 15 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। क्षेत्र में ठाकुरगंज और दिघलबैंक प्रखंड की कुल 13 ग्राम पंचायतें आती हैं। सीमांचल की यह सीट हमेशा से सियासी रूप से संवेदनशील रही है, जहां जातीय और धार्मिक समीकरण अहम भूमिका निभाते हैं।

2020 का चुनाव: जब निर्दलीय बनाम राजद हुआ मुकाबला
2020 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर मुकाबला काफी दिलचस्प रहा था। राजद के साउद आलम ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे गोपाल अग्रवाल को पराजित किया था। साउद आलम को कुल 79,909 वोट मिले थे, जबकि गोपाल अग्रवाल को 56,022 वोटों से संतोष करना पड़ा। JDU के प्रत्याशी नौशाद आलम उस चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे थे। यह चुनाव साफ दर्शाता है कि गोपाल अग्रवाल को बतौर निर्दलीय भी क्षेत्र में अच्छा जन समर्थन प्राप्त था।
राजनीतिक अनुभव और पृष्ठभूमि
गोपाल अग्रवाल का सीमांचल की राजनीति में लंबा अनुभव रहा है। वे 2005 में समाजवादी पार्टी से ठाकुरगंज सीट से विधायक चुने गए थे। क्षेत्र में उनका अच्छा जनाधार है, खासकर सवर्ण और वैश्य समुदाय में उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है। अब JDU में शामिल होने के बाद उनकी भूमिका और प्रभाव और अधिक बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।
2025 का चुनाव: मुस्लिम वोटों पर निर्भर समीकरण
2025 का आगामी विधानसभा चुनाव ठाकुरगंज में काफी दिलचस्प रहने की संभावना है। यह क्षेत्र मुस्लिम बहुल है और यहां के चुनावी नतीजे काफी हद तक मुस्लिम वोटों के रुझान पर निर्भर करते हैं। 2020 के चुनाव में AIMIM और कुछ स्वतंत्र उम्मीदवारों की मौजूदगी ने मुस्लिम वोट बैंक में बंटवारा कर दिया था, जिससे सत्ताधारी दलों को नुकसान हुआ था।
अब जब JDU और RJD आमने-सामने हैं, और AIMIM की संभावित भूमिका भी स्पष्ट नहीं है, तो ऐसे में मुस्लिम वोटों की एकजुटता या बिखराव आने वाले चुनाव के परिणाम को निर्णायक रूप से प्रभावित कर सकती है।
JDU बनाम RJD: सीधी टक्कर के आसार
JDU में गोपाल अग्रवाल की एंट्री के बाद ठाकुरगंज में राजनीतिक मुकाबला अब और दिलचस्प हो गया है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि अब यह सीट RJD और JDU के बीच सीधी टक्कर की ओर बढ़ रही है। अगर JDU अग्रवाल को उम्मीदवार बनाती है और वह अपने पुराने जनाधार को फिर से जुटाने में सफल होते हैं, तो यह मुकाबला बेहद करीबी हो सकता है।
निष्कर्ष:
गोपाल अग्रवाल की JDU में वापसी ने ठाकुरगंज की सियासत में एक नई जान फूंक दी है। अब देखना यह होगा कि क्या वे पार्टी के भरोसे पर खरे उतर पाते हैं और 2025 में JDU को इस मुस्लिम बहुल सीट पर जीत दिला पाते हैं या नहीं। जो भी हो, सीमांचल की राजनीति एक बार फिर गरमाने को तैयार है।
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