किशनगंज जिले में शिक्षकों का तबादला लंबे समय से लंबित रहने के कारण अब यह मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है। मंगलवार को जिले के विभिन्न स्कूलों से आए शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल ने जिला पदाधिकारी विशाल राज से मुलाक़ात की और उन्हें इस संबंध में एक ज्ञापन सौंपा। शिक्षकों ने प्रशासन से इस गंभीर विषय पर जल्द से जल्द कार्रवाई की मांग की है।

तबादलों की प्रक्रिया में देरी से शिक्षकों में गहरा आक्रोश
शिक्षकों का कहना है कि तबादले की प्रक्रिया वर्षों से अटकी हुई है, जिससे न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन पर असर पड़ रहा है, बल्कि कई स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। प्रतिनिधिमंडल में शामिल शिक्षक नेताओं ने बताया कि तबादले के लिए जिला समिति ने पहले ही पहल की थी और सकारात्मक सिफारिशें भी भेजी गई थीं, लेकिन शिक्षा विभाग की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

दिव्यांग और महिला शिक्षकों के लिए विशेष मांग
ज्ञापन में शिक्षकों ने विशेष रूप से दिव्यांग और महिला शिक्षकों के तबादले को प्राथमिकता देने की मांग की है। उनका कहना है कि इन वर्गों को कार्यस्थल पर अतिरिक्त चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और उनके लिए स्थानांतरण की प्रक्रिया को सरल और त्वरित बनाया जाना चाहिए।
संघ के पदाधिकारियों ने यह भी कहा कि उन्होंने पहले जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) और अन्य संबंधित अधिकारियों को भी ज्ञापन सौंपे हैं, लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिले हैं। इस वजह से शिक्षकों में निराशा और नाराजगी दोनों बढ़ती जा रही है।

प्रशासन से उम्मीदें, कार्रवाई का इंतजार
जिला पदाधिकारी से मुलाकात के दौरान शिक्षकों ने अपील की कि वे स्वयं इस मामले में हस्तक्षेप करें और शिक्षा विभाग को निर्देश दें कि तबादला प्रक्रिया को पारदर्शी तरीके से जल्द पूरा किया जाए। शिक्षकों का कहना है कि यदि इस मुद्दे पर शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई, तो वे आंदोलन का रास्ता भी अपना सकते हैं।

प्रशासनिक पक्ष से प्रतिक्रिया नहीं
जेईबी न्यूज़ ने इस मामले में जिला शिक्षा कार्यालय समेत संबंधित अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन समाचार लिखे जाने तक किसी से संपर्क स्थापित नहीं हो सका।
निष्कर्षतः, किशनगंज में तबादलों को लेकर शिक्षकों की नाराजगी अब खुलकर सामने आने लगी है। जहां एक ओर वे न्याय और पारदर्शिता की उम्मीद कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विभागीय चुप्पी इस संकट को और गहरा बना रही है। देखना यह होगा कि प्रशासन इस मांग पर कितना गंभीरता से संज्ञान लेता है और कब तक शिक्षकों को राहत मिलती है।
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