किशनगंज जिले के बहादुरगंज नगर पंचायत क्षेत्र स्थित शिवपुरी तालाब की मरम्मत और सौंदर्यीकरण कार्य पर 31 लाख रुपये खर्च किए जाने के बावजूद, तालाब की हालत बद से बदतर बनी हुई है। छठ महापर्व जैसे महत्वपूर्ण पर्व से कुछ ही सप्ताह पहले तालाब की दुर्दशा ने न केवल स्थानीय लोगों को नाराज कर दिया है, बल्कि प्रशासनिक कार्यप्रणाली और भ्रष्टाचार पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

ईंटें उखड़ी, गड्ढों से भरा परिसर, काला पानी
शिवपुरी तालाब के चारों ओर लगाए गए ईंट-पत्थर उखड़ चुके हैं और आसपास की ज़मीन में गहरे गड्ढे बन गए हैं। गंदगी का आलम ये है कि आसपास के नालों का गंदा पानी सीधे तालाब में गिर रहा है, जिससे पानी काला पड़ चुका है। जल निकासी की कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई है, जिससे जलभराव और बदबू ने श्रद्धालुओं की चिंता बढ़ा दी है।

सरकारी ज़मीन पर कब्जा, बना लिए गए निजी निर्माण
स्थानीय लोगों का आरोप है कि तालाब के आसपास की सरकारी जमीन पर प्रभावशाली लोगों ने कब्जा कर लिया है। वहां बालू-गिट्टी डालकर पानी की टंकियां और अन्य निर्माण कर लिए गए हैं। यह सब नगर पंचायत कार्यालय से महज 300 मीटर की दूरी पर हो रहा है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

छठ महापर्व पर संकट: “महिलाएं गंदे पानी में कैसे करेंगी पूजा?”
शिवपुरी तालाब बहादुरगंज का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जहां हर वर्ष हजारों श्रद्धालु छठ पूजा करने आते हैं। महिलाएं तालाब में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं, लेकिन इस बार की स्थिति ने सभी को चिंतित कर दिया है।
स्थानीय निवासी रोहित झा का कहना है, “हमने कई बार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को आवेदन दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। छठ पूजा जैसे पर्व में महिलाएं इस गंदे और गड्ढों से भरे तालाब में कैसे खड़ी होंगी? यह आस्था पर ठेस है।”
31 लाख की फाइलें दुरुस्त, ज़मीन पर हकीकत जर्जर
नगर एवं ग्रामीण विकास विभाग ने शिवपुरी तालाब के लिए 31 लाख रुपये की लागत से सौंदर्यीकरण का दावा किया था। इसमें परिक्रमा पथ, सीढ़ियों की मरम्मत, जल निकासी और साफ-सफाई की योजना शामिल थी। लेकिन स्थानीय लोगों का आरोप है कि ठेकेदारों ने घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया और कार्य को अधूरा छोड़ दिया गया।
अधिकारियों की चुप्पी पर सवाल
यह स्थिति तब और भी गंभीर हो जाती है जब यह तथ्य सामने आता है कि नगर अंचल कार्यालय से यह तालाब मात्र 300 मीटर की दूरी पर है। बावजूद इसके स्थानीय प्रशासन ने आंखें मूंद रखी हैं। लोग सवाल कर रहे हैं कि जब इतने बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने हैं, तो अब तक कोई जांच या कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
नागरिकों की मांग: जिला पदाधिकारी से हस्तक्षेप की अपील
स्थानीय नागरिकों ने जिला पदाधिकारी से हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि शिवपुरी तालाब बहादुरगंज की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान है, और इसके साथ की जा रही लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
निष्कर्ष:
यह मामला केवल एक तालाब की मरम्मत में अनियमितता का नहीं, बल्कि सरकारी धन की लूट, प्रशासनिक लापरवाही और जन आस्था के अपमान का है। छठ जैसे पर्व के पहले यह स्थिति न सुधरी तो इसका असर सामाजिक सौहार्द और व्यवस्था दोनों पर पड़ सकता है।
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