किशनगंज, बिहार।
पौआखाली नगर पंचायत क्षेत्र में शुक्रवार की रात उस समय हड़कंप मच गया जब एक पारिवारिक विवाद को सुलझाने के लिए बुलाई गई स्थानीय पंचायती में अचानक बवाल हो गया। घटना में नगर पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि लल्लू मुखिया पर एक व्यक्ति को जबरन उठाकर वाहन में बैठाने का आरोप लगा है। इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिससे क्षेत्र में गहमागहमी का माहौल है।

क्या है मामला?
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, यह विवाद किसी पुराने आपसी रंजिश या पारिवारिक झगड़े से जुड़ा है, जिसके समाधान हेतु क्षेत्र के कुछ प्रमुख लोगों की उपस्थिति में एक पंचायती बुलाई गई थी। पंचायती के दौरान अचानक विवाद तेज हो गया और आरोप है कि उसी दौरान लल्लू मुखिया और उनके समर्थकों ने मिलकर एक व्यक्ति को जबरन वहां से उठाकर गाड़ी में बैठाने की कोशिश की।
वीडियो फुटेज में देखा जा सकता है कि मौके पर भारी भीड़ मौजूद थी, जिसमें धक्का-मुक्की और जोर-जबरदस्ती स्पष्ट नजर आ रही है। पीड़ित व्यक्ति लगातार विरोध करता दिखाई दे रहा है और मदद की गुहार भी लगाता सुनाई देता है।

स्थानीयों का आरोप: निजी रंजिश निकाली गई
स्थानीय निवासियों और प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि यह कार्रवाई किसी न्यायपूर्ण समाधान का हिस्सा नहीं थी, बल्कि पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि द्वारा पुरानी दुश्मनी निकालने की कोशिश थी। उनका कहना है कि पंचायती का उद्देश्य विवाद का समाधान निकालना था, न कि किसी को सजा देना या धमकाना।

पुलिस की सक्रियता और बयान
घटना की जानकारी मिलते ही पौआखाली थानाध्यक्ष अंकित सिंह के नेतृत्व में पुलिस टीम मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रित किया। थानाध्यक्ष ने कहा,
“कोई भी व्यक्ति कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकता। वीडियो में जो देखा गया है, वह पूरी तरह से अस्वीकार्य है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
वीडियो बना अहम साक्ष्य
इस घटना से संबंधित जो वीडियो वायरल हुआ है, उसे पुलिस ने महत्वपूर्ण सबूत के रूप में जब्त कर लिया है। वीडियो की फॉरेंसिक जांच कराई जाएगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उसमें कोई छेड़छाड़ न की गई हो और असल घटनाक्रम सामने आ सके।
FIR दर्ज, 7 आरोपी नामजद
पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए लल्लू मुखिया सहित कुल 7 लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया है। नामजद आरोपियों में कुछ स्थानीय प्रभावशाली लोग भी बताए जा रहे हैं। अब पुलिस आरोपियों की भूमिका, मंशा और अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए आगे की जांच कर रही है।
समाज में गूंज और सवाल
यह घटना सिर्फ एक विवाद नहीं, बल्कि पंचायती व्यवस्था की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े करती है। आमतौर पर समाज में पंचायती को न्याय का पारंपरिक साधन माना जाता है, लेकिन जब उसी के नाम पर दबाव, हिंसा या अपहरण जैसी गतिविधियां हों, तो यह न केवल कानून व्यवस्था बल्कि सामाजिक ताने-बाने के लिए भी खतरे की घंटी है।
निष्कर्ष:
किशनगंज की यह घटना एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करती है कि जब जनप्रतिनिधि ही कानून तोड़ने लगें, तो जनता न्याय की उम्मीद किससे करे? पुलिस की तत्परता सराहनीय है, लेकिन इस मामले में दोषियों को जल्द सजा दिलाना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।
अधिक अपडेट के लिए पढ़ें Jeb News.











