कटिहार, बिहार — बिहार की सियासत एक बार फिर गर्म है, और इस बार चर्चा में हैं राज्य के पूर्व सांसद आनंद मोहन। सोमवार की देर रात कटिहार पहुंचे आनंद मोहन ने विपक्ष पर तीखा हमला बोलते हुए साफ किया कि मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई भ्रम नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि, “मुख्यमंत्री पद की कोई वैकेंसी नहीं है, और अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, यह फैसला सिर्फ और सिर्फ जनता करेगी।”
पूर्व सांसद की यह टिप्पणी ऐसे समय पर आई है जब प्रदेश में राजनीतिक हलचलें तेज हैं और विपक्ष लगातार सत्ता पक्ष को घेरने की कोशिश में जुटा है।

वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव की तैयारी के सिलसिले में कटिहार पहुंचे
आनंद मोहन बाबू वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव समारोह की तैयारियों को लेकर कटिहार पहुंचे थे। नगर निगम क्षेत्र के गामी टोला में निगम पार्षद विशाल राणा के आवास पर क्षत्रिय समाज की एक अहम बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में समाज के कई प्रमुख चेहरे उपस्थित रहे।
इस मौके पर विकास सिंह, निक्कू सिंह, जदयू नेता सुनील सिंह, राधा रमन सिंह और सत्यम समदर्शी सहित अन्य गणमान्य लोगों ने पुष्पगुच्छ और शॉल भेंट कर आनंद मोहन का भव्य स्वागत किया। बैठक में क्षत्रिय समाज की एकता, सामाजिक मुद्दों पर चर्चा और वीर कुंवर सिंह की विरासत को सम्मान देने के विषयों पर भी बातचीत हुई।

सांसदों की सदस्यता निलंबन पर उठाए सवाल
मीडिया से बातचीत के दौरान आनंद मोहन ने संसद में विपक्षी सांसदों की सदस्यता निलंबन का मुद्दा भी जोरशोर से उठाया। उन्होंने तीखे शब्दों में कहा कि, “जब केवल आलोचना करने पर सांसदों की सदस्यता निलंबित हो सकती है, तो क्या महापुरुषों के अपमान पर बर्खास्तगी नहीं होनी चाहिए?”
उनके इस बयान को सियासी हलकों में सत्ता और विपक्ष के बीच की मौजूदा तनातनी के संदर्भ में देखा जा रहा है।
नीतीश कुमार की शासन शैली की तारीफ
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सराहना करते हुए आनंद मोहन ने कहा कि उन्होंने बिहार को बीमारू राज्य की श्रेणी से बाहर निकाला है। उन्होंने कहा, “एक समय था जब बिहार में कानून व्यवस्था चरमरा गई थी। बिजली संकट था, सड़कें जर्जर थीं। लेकिन आज हालत बदल चुकी है।”
उन्होंने आगे कहा कि बिहार अब उस अंधेरे दौर में वापस नहीं जाना चाहता। “आज बिहार विकास की राह पर है और हमें इसे आगे बढ़ाते रहना है,” उन्होंने जोड़ते हुए कहा।
राजनीतिक संकेत और जनता का संदेश
पूर्व सांसद के इस बयान को बिहार की मौजूदा राजनीतिक स्थिति और आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र काफी अहम माना जा रहा है। उनके शब्दों में जहां एक ओर नीतीश सरकार के प्रति समर्थन झलकता है, वहीं विपक्ष के लिए यह एक सख्त चेतावनी भी मानी जा रही है।
अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति किस करवट बैठती है और जनता किसे अपना अगला नेता चुनती है।
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