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किशनगंज स्टेशन से मानव तस्करी का पर्दाफाश

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किशनगंज, बिहार — किशनगंज रेलवे स्टेशन पर बुधवार को आरपीएफ (रेलवे सुरक्षा बल) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए बाल मजदूरी के लिए उत्तर प्रदेश ले जाए जा रहे चार नाबालिग बच्चों को सकुशल बचा लिया। ये सभी बच्चे ट्रेन संख्या 15909 अवध असम एक्सप्रेस से उत्तर प्रदेश के रामपुर ले जाए जा रहे थे। आरपीएफ की तत्परता से एक संभावित मानव तस्करी की घटना टल गई।

किशनगंज स्टेशन से मानव तस्करी का पर्दाफाश
किशनगंज स्टेशन से मानव तस्करी का पर्दाफाश

अभियान की जानकारी और कार्रवाई

सूचना मिलने पर आरपीएफ की एस्कॉर्ट पार्टी ने ASI रंजीत सिंह के नेतृत्व में किशनगंज स्टेशन पर गहन तलाशी अभियान चलाया। एनजेपी आरपीएफ पोस्ट के इंचार्ज सीटी राकेश सिंह की टीम ने बच्चों को ट्रेन से बरामद किया। यह अभियान रेलवे सुरक्षा बल के बाल सुरक्षा अभियान का हिस्सा था, जिसके तहत रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में संदिग्ध गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जाती है।

किशनगंज स्टेशन से मानव तस्करी का पर्दाफाश
किशनगंज स्टेशन से मानव तस्करी का पर्दाफाश

बच्चे कहाँ से आए थे?

बचाए गए चारों नाबालिग लड़के असम राज्य के मैरिगांव जिले के मेयॉन्ग थाना क्षेत्र के निवासी हैं। पूछताछ में बच्चों ने बताया कि वे अपने घरों से स्वेच्छा से निकले थे और रामपुर की ओर जा रहे थे। हालांकि, उनकी यात्रा के पीछे की मंशा और इसमें शामिल संभावित दलालों की भूमिका को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं।

दस्तावेज़ों का सत्यापन और प्रारंभिक जांच

बच्चों के पास आधार कार्ड और कुछ मोबाइल नंबर मिले थे, जिनका सत्यापन किया गया। बच्चों से बातचीत के आधार पर यह स्पष्ट हुआ कि वे किसी के संपर्क में थे और संभवतः बाल श्रम के मकसद से उन्हें बहलाकर ले जाया जा रहा था।

बाल सहायता लाइन को सौंपा गया

आरपीएफ ने सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद चारों बच्चों को किशनगंज बाल सहायता लाइन के पर्यवेक्षक अब्दुल क्वैयुम को सौंप दिया। अब इन बच्चों की काउंसलिंग की जा रही है और उन्हें उनके परिवारों तक सुरक्षित पहुंचाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।

जांच जारी, मानव तस्करी की आशंका

आरपीएफ अब इस बात की गहन जांच कर रही है कि बच्चों को ले जाने के पीछे कौन लोग थे, उनका मकसद क्या था, और क्या यह किसी संगठित मानव तस्करी रैकेट का हिस्सा है।

बाल सुरक्षा के प्रति जागरूकता का संदेश

यह घटना एक बार फिर यह दिखाती है कि बाल श्रम और मानव तस्करी जैसी कुरीतियाँ समाज में अब भी मौजूद हैं। आरपीएफ की सतर्कता से इन बच्चों का भविष्य बच सका, और समाज को भी एक चेतावनी मिली कि ऐसे मामलों में लापरवाही भारी पड़ सकती है। रेलवे स्टेशन जैसे सार्वजनिक स्थानों पर लगातार सतर्कता और जागरूकता जरूरी है।

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