किशनगंज: बहादुरगंज प्रखंड के बोचागाड़ी गांव स्थित मदरसा इस्लाहुल मुस्लेमीन (मदरसा संख्या-534) इन दिनों आंतरिक प्रबंधन विवादों को लेकर चर्चा में है। मदरसे की प्रबंधन समिति को लेकर स्थानीय ग्रामीणों में भारी नाराजगी है। ग्रामीणों की मांग है कि मौजूदा समिति को भंग कर शीघ्र नई समिति का गठन किया जाए, ताकि शिक्षा व्यवस्था पर इसका नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
मामला तब और गंभीर हो गया जब हाल ही में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें बड़ी संख्या में पंचायत प्रतिनिधि, वार्ड सदस्य और ग्रामीण शामिल हुए। बैठक की अध्यक्षता क्षेत्र के पूर्व मुखिया ने की। इस दौरान ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि मौजूदा कमेटी पारदर्शिता से काम नहीं कर रही है और एक शिक्षक को बीते तीन वर्षों से निलंबित रखकर अन्याय किया जा रहा है। इससे गांव में असंतोष और अविश्वास का माहौल बन गया है।

नियमावली 2022 के तहत दो कमेटियों के दस्तावेज जमा
बैठक में यह तथ्य भी सामने आया कि बिहार मदरसा बोर्ड की नई नियमावली 2022 के तहत अब तक दो अलग-अलग प्रबंधन समितियों के दस्तावेज बोर्ड कार्यालय में जमा किए जा चुके हैं। इससे स्थिति और उलझ गई है। ग्रामीणों का आरोप है कि मौजूदा समिति की वैधता पर सवाल खड़े हो रहे हैं, और यह स्पष्ट नहीं है कि किस समिति को मान्यता प्राप्त है।

फैसले के अनुसार प्रतिनिधिमंडल करेगा बोर्ड से संपर्क
बैठक के दौरान यह सामूहिक निर्णय लिया गया कि वर्तमान सचिव मुंतज़िर आलम, सदर मनोवर आलम और अन्य समिति सदस्य, पूर्व मुखिया के नेतृत्व में बिहार राज्य मदरसा बोर्ड पटना जाएंगे। वहां वे सभी दस्तावेज प्रस्तुत करेंगे और बोर्ड से अनुरोध करेंगे कि इस विवाद का शीघ्र समाधान निकाला जाए।

ग्रामीणों ने मीडिया से की अपील
पोषक क्षेत्र के लोगों ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि मदरसे की स्थिति को लेकर ग्रामीणों में गहरी चिंता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा व्यवस्था को किसी भी कीमत पर बाधित नहीं होने दिया जा सकता। इसलिए विवादित कमेटी को हटाकर एक नई, निष्पक्ष और पारदर्शी समिति का गठन आवश्यक है।
ग्रामीणों ने यह भी आशंका जताई कि यदि समय रहते विवाद का समाधान नहीं हुआ तो बच्चों की पढ़ाई पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है और क्षेत्र में सामाजिक तनाव भी बढ़ सकता है।

प्रशासन की भूमिका पर उठे सवाल
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन को भी इस मामले में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। शिक्षा से जुड़े ऐसे संवेदनशील मुद्दों में त्वरित कार्रवाई आवश्यक है, ताकि संस्थान की गरिमा बनी रहे और बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो।
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