किशनगंज– शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार, समर्पण और गुणवत्ता को बढ़ावा देने वाले 181 उत्कृष्ट शिक्षकों को किशनगंज में एक भव्य समारोह में सम्मानित किया गया। यह सम्मान समारोह किशनगंज के एमजीएम मेडिकल कॉलेज के ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया, जिसमें पूर्णिया और भागलपुर प्रमंडल के विभिन्न जिलों के शिक्षक शामिल हुए।
यह कार्यक्रम ‘टीबीटी’ (Teachers By Technology) और ‘मेरा मोबाइल मेरी शिक्षा’ मंच की संयुक्त पहल पर आयोजित किया गया। दोनों मंचों का उद्देश्य सरकारी विद्यालयों में कार्यरत ऐसे शिक्षकों को पहचान और सम्मान देना है, जो शिक्षा प्रणाली को रचनात्मक, नवाचारी और तकनीक-सक्षम बनाने की दिशा में लगातार प्रयासरत हैं।

कोविड के दौरान शुरू हुई पहल बनी प्रेरणा का स्रोत
‘मेरा मोबाइल मेरी शिक्षा’ और ‘टीबीटी’ मंच की शुरुआत कोविड-19 महामारी के दौरान की गई थी, जब स्कूल बंद थे और बच्चों की पढ़ाई ठप पड़ गई थी। इस कठिन समय में इन मंचों ने शिक्षकों को डिजिटल टूल्स और सोशल मीडिया के माध्यम से पढ़ाने के लिए प्रेरित किया। आज ये मंच एक सशक्त आंदोलन का रूप ले चुके हैं।
कार्यक्रम में बताया गया कि किस तरह शिक्षक ऑनलाइन कक्षाएं, वीडियो लेक्चर, और इंटरएक्टिव कंटेंट के माध्यम से बच्चों को न केवल पढ़ा रहे हैं, बल्कि उन्हें सीखने के प्रति उत्साहित भी कर रहे हैं। विशेष रूप से ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में इन शिक्षकों की भूमिका बच्चों के शैक्षणिक भविष्य को संवारने में अहम साबित हो रही है।

किन जिलों के शिक्षक हुए सम्मानित?
इस कार्यक्रम में किशनगंज, कटिहार, अररिया, भागलपुर और बांका जैसे जिलों से आए शिक्षकों को सम्मानित किया गया। हर शिक्षक को मंच पर बुलाकर प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। यह सम्मान उन शिक्षकों को मिला है जिन्होंने सरकारी विद्यालयों में संसाधनों की कमी के बावजूद शिक्षा में रचनात्मकता और तकनीक के समावेश से छात्रों को बेहतर भविष्य देने का कार्य किया।

आयोजन को सफल बनाने में रहा सामूहिक प्रयास
इस आयोजन को सफल बनाने में स्थानीय प्रशासन, शिक्षकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की सराहनीय भूमिका रही। आयोजन समिति ने बताया कि ऐसे कार्यक्रम आगे भी जारी रहेंगे ताकि शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन लाने वाले शिक्षकों को आगे बढ़ने का मंच और प्रोत्साहन मिलता रहे।
क्या बोले मंच के आयोजक?
मंच के आयोजकों ने कहा:
“यह पहल केवल सम्मान देने की नहीं, बल्कि एक ऐसा मंच तैयार करने की है जो शिक्षकों को प्रेरणा, पहचान और नेटवर्किंग का अवसर दे सके। हम चाहते हैं कि ये शिक्षक दूसरों के लिए रोल मॉडल बनें।”
निष्कर्ष
‘टीबीटी’ और ‘मेरा मोबाइल मेरी शिक्षा’ जैसे मंच यह साबित कर रहे हैं कि शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं, बल्कि उद्यमिता, नवाचार और तकनीक के सही मिश्रण से बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है। ऐसे कार्यक्रम निश्चित रूप से शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा और ऊर्जा देने का कार्य कर रहे हैं।
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