किशनगंज (बिहार): मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ करना एक युवक को उस वक्त भारी पड़ गया जब कथित तौर पर जन सुराज पार्टी से जुड़े कार्यकर्ताओं ने उसे जबरन बाइक पर बैठाकर एक सुनसान इलाके में ले जाकर बुरी तरह पीटा। यह घटना किशनगंज जिले के जियापोखर थाना क्षेत्र के बंदरझूला गांव की है, जहाँ राजनीतिक असहमति ने हिंसा का रूप ले लिया।

क्या है पूरा मामला?
बंदरझूला निवासी सोनू सिंह ने आरोप लगाया है कि वे नीतीश कुमार और उनकी सरकार की कुछ योजनाओं की सार्वजनिक रूप से सराहना कर रहे थे। इसी बात को लेकर उनके पड़ोसी मोहम्मद सद्दाम, मोहम्मद रिजवान उर्फ डालिम और उनके भाई ने आपत्ति जताई और उन्हें जबरदस्ती बाइक पर बैठाकर नेपाल बॉर्डर के पास SSB (सशस्त्र सीमा बल) कैंप के समीप एक सुनसान जगह पर ले गए।
वहाँ तीनों ने मिलकर सोनू की जमकर पिटाई की। पीड़ित ने बताया कि हमलावरों ने उनसे कहा, “तुम जन सुराज को वोट नहीं देकर नीतीश कुमार को वोट क्यों दे रहे हो?” इसी बात को लेकर झगड़ा हुआ और मामला मारपीट में बदल गया।

परिजनों और SSB की तत्परता से बची जान
घटना की जानकारी जैसे ही सोनू की पत्नी कुसुम देवी को मिली, वे मौके पर पहुँचीं। इसी दौरान वहां तैनात SSB जवान भी मौके पर पहुंचे और घायल सोनू को बचाया। उन्हें तत्काल किशनगंज सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां फिलहाल उनका इलाज चल रहा है। सोनू की हालत स्थिर बताई जा रही है।
पुलिस ने की त्वरित कार्रवाई, एक गिरफ्तार
मामले में पीड़ित की शिकायत पर पुलिस ने तेजी से कार्रवाई करते हुए मुख्य आरोपी मोहम्मद रिजवान उर्फ डालिम को गिरफ्तार कर लिया है। किशनगंज के एसडीपीओ मंगलेश कुमार ने बताया कि दोनों पक्षों की ओर से आवेदन प्राप्त हुए हैं और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जा रही है।
थाना अध्यक्ष गौतम कुमार ने कहा, “हमारी टीम तथ्यों के आधार पर कार्रवाई कर रही है। किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।”

राजनीति में बढ़ती असहिष्णुता पर सवाल
इस घटना ने एक बार फिर से बिहार की राजनीति में असहिष्णुता और हिंसा को उजागर कर दिया है। किसी राजनेता की प्रशंसा करना अगर मारपीट का कारण बन जाए, तो यह एक चिंताजनक स्थिति है।
सोनू की पत्नी कुसुम देवी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हम राजनीति नहीं समझते, लेकिन अगर किसी ने सरकार के अच्छे कामों की तारीफ की तो उसे पीटा जाएगा, ये कहां का इंसाफ है? हमें इस मामले में न्याय चाहिए।”
अभी भी कई सवाल अनुत्तरित
फिलहाल पुलिस जांच जारी है और बाकी आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है। सवाल यह भी उठता है कि क्या राजनीतिक असहमति को हिंसा में बदल देना अब सामान्य होता जा रहा है?
जन सुराज पार्टी की ओर से अब तक इस घटना पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
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