पटना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिवंगत मां के खिलाफ अभद्र टिप्पणी के विरोध में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने गुरुवार, 4 सितंबर 2025 को बिहार बंद का आह्वान किया। इस बंद का व्यापक असर पटना, गया, मुंगेर, समस्तीपुर, बेगूसराय, छपरा और हाजीपुर जैसे जिलों में देखा गया। सड़कों पर जाम, प्रदर्शन और कुछ स्थानों पर आगजनी की घटनाओं ने जनजीवन को प्रभावित किया।

बंद का प्रभाव और प्रदर्शन
बंद के दौरान समस्तीपुर, बेगूसराय, छपरा और हाजीपुर में नेशनल हाईवे जाम किए गए, जिससे वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। पटना के सगुना मोड़ पर प्रदर्शनकारियों ने आगजनी की, जबकि बिहटा में भाजपा नेताओं ने सड़क जाम कर दी। डाकबंगला चौराहा भी कार्यकर्ताओं द्वारा अवरुद्ध कर दिया गया। स्कूल बसों को वापस लौटने के लिए मजबूर किया गया, हालांकि पुलिस, एंबुलेंस और वायुसेना की गाड़ियों को रास्ता दिया गया।
दरभंगा में भाजपा महिला मोर्चा ने प्रदर्शन का नेतृत्व किया। चौक-चौराहों पर कार्यकर्ताओं ने सड़क जाम कर नारेबाजी की। बेगूसराय में केंद्रीय मंत्री सुरेंद्र मेहता स्वयं सड़क पर उतरे और बंद को सफल बनाने के लिए दुकानें और सड़कें बंद करवाईं। मुंगेर में भाजपा कार्यकर्ताओं ने शांतिपूर्ण तरीके से बंद का आयोजन किया, हालांकि कुछ स्थानों पर दुकानें खुली रहीं।

सुरक्षा व्यवस्था और पुलिस की तैनाती
बंद को देखते हुए कांग्रेस और राजद के कार्यालयों की सुरक्षा बढ़ा दी गई। पटना में 2,000 से अधिक पुलिस जवानों को तैनात किया गया ताकि कानून-व्यवस्था बनी रहे। पुलिस ने संवेदनशील इलाकों में गश्त तेज कर दी और स्थिति पर नजर रखी।

विवाद की पृष्ठभूमि
यह विवाद 27 अगस्त 2025 को दरभंगा में आयोजित वोटर अधिकार यात्रा के दौरान शुरू हुआ, जब राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की गई। इसके बाद से भाजपा और NDA कार्यकर्ता लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने 2 सितंबर को इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ी। उन्होंने भावुक बयान में कहा, “मेरी मां का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं था। वो अब इस दुनिया में भी नहीं हैं। फिर भी कांग्रेस-राजद के मंच से उन्हें गाली दी गई। इस घटना से मेरे दिल में जितनी पीड़ा है, उतनी ही मेरे बिहार के लोगों के दिल में भी है। मैं इस दुख को आपसे साझा कर रहा हूं ताकि इसे सहन कर सकूं।”
जनता और नेताओं की प्रतिक्रिया
NDA नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस टिप्पणी को न केवल प्रधानमंत्री का, बल्कि पूरे बिहार का अपमान बताया। बंद के दौरान कार्यकर्ताओं ने “राहुल गांधी मुर्दाबाद” और “मां का अपमान नहीं सहेगा बिहार” जैसे नारे लगाए। स्थानीय लोगों में भी इस मुद्दे को लेकर आक्रोश देखा गया, और कई ने बंद का समर्थन किया।
निष्कर्ष
NDA का बिहार बंद एक ओर जहां प्रधानमंत्री की मां के अपमान के खिलाफ आक्रोश का प्रतीक रहा, वहीं इसने राज्य में तीखे राजनीतिक टकराव को भी उजागर किया। पुलिस और प्रशासन की सतर्कता के कारण स्थिति नियंत्रण में रही, लेकिन यह घटना बिहार की राजनीति में लंबे समय तक चर्चा का विषय बनी रहेगी।
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