किशनगंज, बिहार: बिहार के दरभंगा में कांग्रेस की वोटर अधिकार यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वर्गीय मां के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर देशभर में सियासी तूफान मचा हुआ है। इस घटना के विरोध में किशनगंज में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की महिला मोर्चा और कार्यकर्ताओं ने गुरुवार, 4 सितंबर 2025 को शहर में उग्र प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ आक्रोश जताते हुए उनकी शव यात्रा निकाली और राष्ट्रीय राजमार्ग 27 (NH-27) पर उनका पुतला दहन किया, जिससे सड़क पर जाम की स्थिति उत्पन्न हुई और यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ।

प्रदर्शन और पुतला दहन
BJP की महिला मोर्चा ने इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया। कार्यकर्ताओं ने किशनगंज के प्रमुख चौक-चौराहों पर राहुल गांधी और कांग्रेस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शन के दौरान, राष्ट्रीय राजमार्ग 27 पर राहुल गांधी का पुतला जलाया गया, जिसके कारण सड़क पर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। इस जाम ने स्थानीय लोगों और यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। हालांकि, प्रदर्शनकारी कार्यकर्ताओं ने आपातकालीन सेवाओं जैसे पुलिस, एंबुलेंस और अन्य आवश्यक वाहनों को रास्ता देने की कोशिश की।

महिला मोर्चा का आक्रोश
BJP महिला मोर्चा की कार्यकर्ताओं ने इस टिप्पणी को “मातृ शक्ति का अपमान” करार देते हुए इसे असहनीय बताया। एक महिला कार्यकर्ता ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं, उनके खिलाफ ऐसी अभद्र भाषा का इस्तेमाल न केवल अपमानजनक है, बल्कि यह बिहार की हर मां और महिला का अपमान है।” उन्होंने दावा किया कि बिहार की महिलाएं आगामी विधानसभा चुनाव में अपने मताधिकार के जरिए इस अपमान का जवाब देंगी। कार्यकर्ताओं ने कहा, “बिहार की जनता और विशेष रूप से महिलाएं इस घटना को नहीं भूलेंगी, और इसका खामियाजा यूपीए गठबंधन को भुगतना पड़ेगा।”

पृष्ठभूमि: दरभंगा में वोटर अधिकार यात्रा
यह विवाद 27 अगस्त 2025 को दरभंगा में आयोजित कांग्रेस की वोटर अधिकार यात्रा के दौरान शुरू हुआ, जब मंच से कथित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी स्वर्गीय मां के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की गई। इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद BJP और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने इसे मुद्दा बनाकर पूरे बिहार में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए। BJP ने इसे लोकतंत्र और भारतीय संस्कृति पर धब्बा करार दिया है।

प्रधानमंत्री का भावुक बयान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 सितंबर को इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए एक भावुक बयान दिया। उन्होंने कहा, “मेरी मां का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं था, और वह अब इस दुनिया में भी नहीं हैं। फिर भी, कांग्रेस और RJD के मंच से उनके खिलाफ गालियां दी गईं। इस घटना से मेरे दिल में जितनी पीड़ा है, उतनी ही मेरे बिहार के लोगों के दिल में भी है। मैं इस दुख को आपसे साझा कर रहा हूं ताकि इसे सहन कर सकूं।” इस बयान ने NDA कार्यकर्ताओं के आक्रोश को और भड़का दिया।
BJP का दावा: बंद रहा सफल
BJP कार्यकर्ताओं ने किशनगंज में इस बंद को पूरी तरह सफल बताया। स्थानीय नेताओं ने कहा कि यह प्रदर्शन न केवल प्रधानमंत्री की मां के अपमान के खिलाफ था, बल्कि यह बिहार की सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों की रक्षा के लिए भी था। किशनगंज में BJP के स्थानीय नेताओं ने दावा किया कि बंद के दौरान दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे, और जनता ने उनके आह्वान का समर्थन किया।
सुरक्षा व्यवस्था और पुलिस की भूमिका
प्रदर्शन और सड़क जाम को देखते हुए किशनगंज में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई। पुलिस ने संवेदनशील क्षेत्रों में गश्त बढ़ाई और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त जवानों को तैनात किया। यातायात को सामान्य करने के लिए पुलिस ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत की और जाम को खुलवाने की कोशिश की।
राजनीतिक निहितार्थ
यह घटना बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले हुई है, जिसके कारण इसे राजनीतिक रंग दिया जा रहा है। BJP और NDA इस मुद्दे को चुनावी रणनीति का हिस्सा बनाकर मतदाताओं, विशेष रूप से महिलाओं, को भावनात्मक रूप से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, कांग्रेस ने इस टिप्पणी से खुद को अलग करते हुए दावा किया है कि यह BJP की साजिश है, जिसका उद्देश्य वोटर अधिकार यात्रा को बदनाम करना है।
निष्कर्ष
किशनगंज में BJP और NDA के इस विरोध प्रदर्शन ने एक बार फिर बिहार की राजनीति में तनाव को बढ़ा दिया है। यह घटना न केवल दरभंगा की कथित टिप्पणी के इर्द-गिर्द घूम रही है, बल्कि यह आगामी विधानसभा चुनाव में भी एक प्रमुख मुद्दा बन सकती है। किशनगंज में NH-27 पर जाम और पुतला दहन ने स्थानीय लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ा, लेकिन BJP ने इसे बिहार की जनता की भावनाओं का प्रतिनिधित्व बताया। इस घटना के दीर्घकालिक प्रभाव बिहार की राजनीति और मतदाताओं की भावनाओं पर निर्भर करेंगे।
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