किशनगंज (बिहार): जिले के महेशबथना गांव से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक दलित परिवार की पैतृक जमीन पर भूमाफियाओं ने कब्जा कर लिया है। पीड़ित देवशरण ऋषिदेव ने इस गंभीर मामले में जिला पदाधिकारी से न्याय की गुहार लगाई है।

पुरखों की जमीन, अब विवादों में
देवशरण ऋषिदेव के अनुसार, मौजा चकला में स्थित 1 एकड़ 22 डिसमिल कृषि भूमि उनके नाना स्वर्गीय लदू मुसहर को खतियान के माध्यम से प्राप्त हुई थी। वर्षों से उनके पूर्वज और वे स्वयं इस भूमि पर खेती करते आ रहे हैं। जमीन के दस्तावेज पूरी तरह वैध हैं, जिसमें खाता संख्या 136 और खेसरा संख्या 1297/10D, 1298/24D, 1299/31D, 1347/06D, 1292/07D और 1293/42D शामिल हैं।

2017 के बाद शुरू हुआ कब्जे का खेल
2017 में देवशरण की मां मेरूनिया देवी के निधन के बाद उनकी अनुपस्थिति का लाभ उठाकर चार स्थानीय भूमाफियाओं — नुरूल (55), मो. रफीक (35), वहाव हाजी (55) और लतीफ (52) — ने इस जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया। ये सभी स्व. अब्दुल सलाम हाजी के परिजन बताए जा रहे हैं और लहरा चौक के निवासी हैं।

फर्जी दस्तावेज और दबंगई का खेल
पीड़ित का आरोप है कि इन भूमाफियाओं ने फर्जी रजिस्ट्री के जरिए जमीन के आधे हिस्से को अपने नाम दर्ज करवा लिया, और उस पर पक्का मकान बनाकर किराए पर दे दिया। जब देवशरण ने इसका विरोध किया, तो उनके साथ मारपीट की गई और उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी गई।
पैसे के बल पर दबाई जा रही जांच
देवशरण का कहना है कि भूमाफियाओं ने स्थानीय स्तर पर प्रभावशाली लोगों और अधिकारियों को पैसे देकर मामले की जांच को प्रभावित करने की कोशिश की है। अब तक उन्हें कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला है और न्याय के लिए वह लगातार अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं।
प्रशासनिक हस्तक्षेप की मांग
पीड़ित ने जिला पदाधिकारी से अपील की है कि जमीन पर हुए इस फर्जीवाड़े की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। साथ ही उन्होंने अपनी पुश्तैनी जमीन को पुनः हासिल कराने की भी मांग की है।
निष्कर्ष:
इस घटना ने न सिर्फ एक गरीब दलित किसान के अधिकारों पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी दिखाया है कि जमीन माफिया और भ्रष्ट तंत्र किस तरह से मिलकर आम जनता को उनके संपत्ति अधिकारों से वंचित कर सकते हैं। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस पर क्या कार्रवाई करता है।
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