किशनगंज: बिहार में मदरसा शिक्षकों और कर्मचारियों ने अपनी लंबित मांगों को लेकर आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है। शनिवार को किशनगंज शहर में अंबेडकर टाउन हॉल के समीप इन शिक्षकों ने एकदिवसीय धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने राज्य सरकार पर वादाखिलाफी और उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि यदि जल्द उनकी मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं होती, तो 17 सितंबर से पटना के गर्दनीबाग में अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया जाएगा।

मांगों को लेकर सरकार से नाराज़गी
धरना प्रदर्शन के दौरान मदरसा शिक्षकों ने बताया कि राज्य सरकार ने पूर्व में आश्वासन दिया था कि मदरसों की नियोजन प्रक्रिया को सामान्य विद्यालयों की तर्ज पर लागू किया जाएगा। लेकिन इसके बावजूद उन्हें न तो नियमानुसार वेतनमान मिल रहा है और न ही अन्य जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
शिक्षकों का कहना है कि वे वर्षों से अल्प मानदेय पर काम कर रहे हैं, जबकि उनसे वही काम लिया जा रहा है जो अन्य विद्यालयों के शिक्षकों से लिया जाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की नीतियों में भेदभाव झलकता है और इससे अल्पसंख्यक समाज के शिक्षा तंत्र को नुकसान हो रहा है।

मुख्य मांगें
धरने के दौरान शिक्षकों ने अपनी कई अहम मांगें भी रखीं, जिनमें शामिल हैं:
- सभी अनुदानित मदरसों को अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान का दर्जा दिया जाए।
- शेष गैर-अनुदानित मदरसों को अनुदान की श्रेणी में शामिल किया जाए।
- मदरसा शिक्षकों और कर्मचारियों को भी समान वेतनमान, वार्षिक वेतन वृद्धि, चिकित्सा और आवास भत्ता, पेंशन और ईपीएफ जैसी सुविधाएं प्रदान की जाएं।
- वर्षों से लंबित वेतन विसंगतियों को दूर किया जाए।
राज्यव्यापी आंदोलन की चेतावनी
धरने में उपस्थित शिक्षकों और संघ के प्रतिनिधियों ने एक सुर में चेतावनी दी कि यदि सरकार जल्द इन मांगों को लेकर कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाती, तो वे 17 सितंबर से पटना के गर्दनीबाग में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठेंगे। उनका कहना है कि यह केवल शुरुआत है, और जरूरत पड़ी तो यह आंदोलन राज्यव्यापी भी हो सकता है।

स्थानीय जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर सवाल
धरने में यह भी सवाल उठाया गया कि क्षेत्रीय विधायक और सांसद इस मुद्दे पर चुप क्यों हैं। शिक्षकों ने कहा कि वे सभी प्रतिनिधियों से मिल चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है।

सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार
फिलहाल राज्य सरकार की ओर से इस आंदोलन या शिक्षकों की मांगों पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। अब देखना होगा कि आगामी दिनों में सरकार क्या कदम उठाती है, और क्या यह चेतावनी किसी बड़े आंदोलन में तब्दील होती है या नहीं।
अधिक अपडेट के लिए पढ़ें Jeb News











