किशनगंज– जिले में जारी सरकारी एम्बुलेंस सेवा की हड़ताल अब आम लोगों के लिए दोहरी मुसीबत बनती जा रही है। एक ओर मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए सरकारी सेवाएं ठप हैं, वहीं दूसरी ओर शहर के मुख्य बस स्टैंड पर एक और गंभीर मामला उजागर हुआ है। यहां “एम्बुलेंस” के नाम पर निजी गाड़ियों में सामान्य यात्रियों को ढोया जा रहा है, और उनसे 300 से 400 रुपए तक की वसूली की जा रही है।

एम्बुलेंस के नाम पर फल-फूल रहा है अवैध पैसेंजर ढुलाई का धंधा
जानकारी के अनुसार, किशनगंज बस स्टैंड पर इन दिनों कई ऐसी गाड़ियाँ खड़ी नजर आ रही हैं जो बाहर से देखने पर पूरी तरह एम्बुलेंस जैसी दिखती हैं। हालांकि, इनमें न तो कोई मेडिकल इक्विपमेंट है और न ही मरीज। इसके बजाय ये गाड़ियाँ सिलीगुड़ी, इस्लामपुर और अन्य शहरों की ओर जाने वाले यात्रियों को ‘स्पेशल सर्विस’ के नाम पर लिफ्ट देती हैं।
एक यात्री ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “मैंने सोचा कि यह सरकारी एम्बुलेंस सेवा है, और किसी मरीज को अस्पताल ले जा रही होगी। लेकिन ड्राइवर ने कहा कि यह स्पेशल सर्विस है और सिलीगुड़ी तक के 400 रुपए मांगे। जब मैंने गाड़ी के अंदर झांका तो वहां मेडिकल से जुड़ी कोई चीज़ नहीं थी।”

हड़ताल के बीच आम जनता हो रही है शोषण का शिकार
गौरतलब है कि सरकारी एम्बुलेंस सेवा के कर्मचारी बीते कई दिनों से वेतन और सुविधाओं को लेकर हड़ताल पर हैं। इस हड़ताल के कारण अस्पतालों तक पहुंचने के लिए मरीजों को या तो निजी एम्बुलेंस का सहारा लेना पड़ रहा है — जिनका किराया 1000 रुपए से अधिक है — या फिर वैकल्पिक साधनों की तलाश करनी पड़ रही है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि इसी स्थिति का फायदा उठाते हुए कुछ निजी संचालक, एम्बुलेंस जैसी दिखने वाली गाड़ियों के जरिए यात्रियों को ठगने में लगे हैं। न तो गाड़ियों पर नंबर प्लेट साफ है और न ही यह स्पष्ट है कि ये वाहन बिहार से हैं या पश्चिम बंगाल से। इससे प्रशासन के लिए भी उनकी निगरानी करना मुश्किल हो गया है।
प्रशासन पर उठे सवाल, कार्रवाई की मांग तेज
इस मामले के सामने आने के बाद अब प्रशासन पर सवाल खड़े हो रहे हैं। स्थानीय समाजसेवी और आम नागरिकों का कहना है कि प्रशासन को पहले ही एम्बुलेंस सेवा की हड़ताल का वैकल्पिक इंतजाम करना चाहिए था। लेकिन अब स्थिति यह हो गई है कि हड़ताल की आड़ में दलाल सक्रिय हो गए हैं और लोगों से मोटी रकम वसूली जा रही है।
एक स्थानीय व्यापारी ने बताया, “सरकारी तंत्र की लापरवाही का फायदा कुछ लोग खुलेआम उठा रहे हैं। अगर तुरंत कार्रवाई नहीं की गई तो यह धंधा और फैल जाएगा और जरूरतमंद लोग ठगे जाते रहेंगे।”
क्या कहता है प्रशासन?
अब तक इस मामले पर जिला प्रशासन की कोई औपचारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, अधिकारियों को बस स्टैंड की स्थिति की जानकारी मिल चुकी है और जांच के आदेश दिए गए हैं। यदि यह पुष्टि होती है कि एम्बुलेंस की आड़ में पैसेंजर ढुलाई की जा रही है, तो संबंधित वाहन मालिकों और चालकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सकती है।
निष्कर्ष
किशनगंज में एम्बुलेंस सेवा की हड़ताल ने जहां स्वास्थ्य व्यवस्था को पहले से ही प्रभावित किया हुआ है, वहीं अब इसका दुरुपयोग भी शुरू हो चुका है। एम्बुलेंस की आड़ में यात्रियों से पैसे वसूलने की यह प्रवृत्ति न सिर्फ कानून का उल्लंघन है, बल्कि एक संवेदनशील संकट का अमानवीय शोषण भी है।
स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों की मांग है कि जिला प्रशासन तत्काल कार्रवाई कर इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगाए और सरकारी एम्बुलेंस सेवा को जल्द से जल्द बहाल किया जाए। जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक आम नागरिकों को सतर्क रहना ही होगा — क्योंकि अब एम्बुलेंस की शक्ल में भी धोखा मिल सकता है।
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