सीमांचल की सियासत में बड़ा उलटफेर सामने आया है। अररिया के पूर्व सांसद और जोकीहाट से चार बार विधायक रह चुके सरफराज आलम ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से इस्तीफा दे दिया है। गुरुवार को उन्होंने जन सुराज पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। पटना स्थित शेखपुरा हाउस में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने पार्टी में शामिल होने की घोषणा की।
जन सुराज के संस्थापक और राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह और प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती ने सरफराज का पार्टी में स्वागत किया। इस घटनाक्रम को सीमांचल की राजनीति में जन सुराज के बढ़ते प्रभाव के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।

‘घुटन हो रही थी, अब खुलकर कर सकूंगा राजनीति’
जन सुराज में शामिल होने के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए सरफराज आलम ने कहा,
“मैं RJD में पिछले कुछ वर्षों से घुटन महसूस कर रहा था। अब जन सुराज में आकर राहत महसूस हो रही है। यहां विचारधारा, नीयत और नीति—तीनों स्पष्ट हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि वे बिहार की राजनीति को स्वच्छ, पारदर्शी और विकासोन्मुख बनाने के प्रशांत किशोर के संकल्प से प्रभावित होकर पार्टी में शामिल हुए हैं। उन्होंने वादा किया कि वे जन सुराज को राज्य की 243 विधानसभा सीटों पर मजबूती दिलाने में पूरी ताकत झोंक देंगे।

प्रशांत किशोर का RJD और महागठबंधन पर हमला
प्रेस वार्ता के दौरान प्रशांत किशोर ने सरफराज आलम के फैसले की सराहना करते हुए कहा कि उनका परिवार सीमांचल की राजनीति में दशकों से योगदान देता आया है। उन्होंने कहा कि सरफराज आलम जैसे ज़मीनी नेता का साथ मिलना पार्टी के लिए एक बड़ी ताकत साबित होगा।
किशोर ने इस अवसर पर महागठबंधन पर भी तीखा प्रहार किया। उन्होंने आरोप लगाया कि
“महागठबंधन स्पष्ट नहीं कर पा रहा कि मुकेश सहनी उनके साथ हैं या नहीं। टिकटों की खुलेआम खरीद-फरोख्त हुई है। करोड़ों रुपये लेकर टिकट बेचे गए हैं और कई सीटों पर दो-दो दलों ने अपने-अपने उम्मीदवार खड़े कर दिए हैं।”
उन्होंने राघोपुर सीट को लेकर RJD नेता तेजस्वी यादव को सीधी चुनौती देते हुए कहा,
“तेजस्वी यादव और उनका पूरा परिवार मिलकर भी मुझे डरा नहीं सकता। राघोपुर में जन सुराज तेजस्वी को तीसरे स्थान पर धकेल देगा।”
राजनीतिक सफर और पारिवारिक पृष्ठभूमि
सरफराज आलम सीमांचल के एक पुराने और प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं। वे पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय तस्लीमुद्दीन के बेटे हैं। उनका राजनीतिक करियर 1996 में जोकीहाट से विधायक बनने के साथ शुरू हुआ। वे 2000, 2010 और 2015 में फिर से विधायक बने। 2018 में उन्होंने उपचुनाव जीतकर अररिया से सांसद बनने में सफलता हासिल की।
गौरतलब है कि उनके छोटे भाई शाहनवाज आलम वर्तमान में जोकीहाट से RJD के विधायक हैं। ऐसे में अब दोनों भाइयों के बीच सियासी टकराव की संभावना भी बढ़ गई है, जो आने वाले विधानसभा चुनावों में दिलचस्प मुकाबले का संकेत देता है।
सीमांचल में जन सुराज को मजबूती मिलने की उम्मीद
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सरफराज आलम जैसे अनुभवी नेता का जन सुराज में शामिल होना पार्टी को सीमांचल में संगठनात्मक और जनाधार स्तर पर मजबूती देगा। सीमांचल की मुस्लिम आबादी और सामाजिक समीकरणों को देखते हुए यह कदम जन सुराज के लिए रणनीतिक रूप से अहम माना जा रहा है।
निष्कर्ष
सरफराज आलम का RJD से नाता तोड़कर जन सुराज में शामिल होना बिहार की राजनीति में एक अहम मोड़ है। जहां एक ओर इससे RJD को सीमांचल में नुकसान हो सकता है, वहीं जन सुराज को क्षेत्रीय पकड़ मजबूत करने में फायदा मिल सकता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि आने वाले चुनावों में यह बदलाव मतदाताओं को किस हद तक प्रभावित करता है।
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