पूर्णिया जिले में शुक्रवार की सुबह एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ, जिसमें दशहरे का मेला देखकर लौट रहे एक ही परिवार के पाँच मासूम बच्चे वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन की चपेट में आ गए। इस भयावह दुर्घटना में चार बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एक बच्चा गंभीर रूप से घायल है। हादसे के बाद पूरे इलाके में मातम पसरा हुआ है और परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।

हादसा कैसे हुआ?
यह हादसा कसबा थाना क्षेत्र के कटिहार-जोगबनी रेलखंड पर स्थित जवनपुर गांव के पास हुआ। शुक्रवार की सुबह करीब 7 बजे, जब इलाके के बच्चे दशहरे का मेला देखकर वापस लौट रहे थे, तभी वे रेलवे ट्रैक पार कर रहे थे। उसी समय जोगबनी से दानापुर जा रही तेज रफ्तार वंदे भारत एक्सप्रेस वहां से गुजरी और सभी बच्चे उसकी चपेट में आ गए।
हादसा इतना अचानक और तेज था कि किसी को संभलने या हटने का मौका तक नहीं मिला। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, ट्रेन की रफ्तार बहुत तेज थी, और बच्चे अचानक सामने आ गए। ट्रेन ने उन्हें उड़ा दिया और वह बिना रुके आगे निकल गई।

मृतकों और घायल की पहचान
सभी पीड़ित बच्चे एक ही परिवार से थे और आपस में भाई थे। वे जानकीनगर थाना क्षेत्र के ठाकुरपट्टी वार्ड संख्या 4 के रहने वाले थे। ये सभी महादलित समुदाय से आते थे।
मृतकों की पहचान:
- सुंदर कुमार (15 वर्ष)
- सिंटू कुमार (14 वर्ष)
- जिगर कुमार (14 वर्ष)
- रोहित कुमार (15 वर्ष)
घायल:
- कुलदीप कुमार (12 वर्ष) — गंभीर रूप से घायल है और उसे तत्काल पूर्णिया मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है। उसकी हालत चिंताजनक बताई जा रही है।
हादसे में लगी गंभीर चोटें
घटना की भयावहता को बयान करते हुए डॉक्टरों और चश्मदीदों ने बताया कि ट्रेन की चपेट में आने से:
- एक बच्चे का कमर से नीचे का हिस्सा और दोनों हाथ कट गए।
- एक अन्य के सिर के पिछले हिस्से में गहरी चोट आई।
- तीसरे के ब्रेन में गंभीर चोट है।
- एक बच्चे का हाथ पूरी तरह कटकर अलग हो गया।
- घायल कुलदीप के दोनों पैर ट्रेन से कट गए हैं।
इलाके में पसरा मातम, प्रशासन हरकत में
हादसे के बाद जवनपुर गांव और आस-पास के इलाकों में कोहराम मच गया। जैसे ही खबर फैली, ग्रामीणों की भारी भीड़ घटनास्थल पर जुट गई। बच्चों के शवों को देखकर गांव में मातमी सन्नाटा पसर गया।
सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस और रेलवे पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और मामले की जांच शुरू कर दी गई। घायल कुलदीप को एंबुलेंस से तुरंत पूर्णिया मेडिकल कॉलेज भेजा गया, जहां डॉक्टरों की टीम उसकी जान बचाने में जुटी है।

क्या कहता है प्रशासन?
घटना के बाद अभी तक किसी वरिष्ठ अधिकारी का आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक जिला प्रशासन द्वारा हादसे की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। रेलवे विभाग की ओर से भी मामले की प्राथमिक जांच की जा रही है।

ट्रेन नहीं रुकी, उठ रहे सवाल
प्रत्यक्षदर्शियों और ग्रामीणों का आरोप है कि हादसे के बाद भी वंदे भारत ट्रेन नहीं रुकी और बिना किसी आपात ब्रेक के तेज़ी से आगे निकल गई। इससे रेलवे की संवेदनशीलता और सुरक्षा प्रबंधों पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
जनता में आक्रोश
हादसे के बाद स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश है। लोगों का कहना है कि रेलवे ट्रैक पार करने के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं है। न ही किसी तरह की चेतावनी प्रणाली और न ही सुरक्षाकर्मी मौजूद रहते हैं। ऐसे में इस तरह की घटनाएं बार-बार हो रही हैं।
सरकार से मुआवजे की मांग
परिजनों और ग्रामीणों ने सरकार से मृतकों के परिवार को उचित मुआवजा देने और घायल के इलाज की पूरी जिम्मेदारी लेने की मांग की है। साथ ही उन्होंने रेलवे ट्रैक पर सुरक्षा बढ़ाने और फाटक/अंडरपास की व्यवस्था करने की भी मांग की है।
निष्कर्ष
यह हादसा केवल एक दुखद दुर्घटना नहीं है, बल्कि सिस्टम की लापरवाही और सुरक्षा व्यवस्था की कमी की एक कड़वी सच्चाई भी है। अब देखना यह है कि प्रशासन और रेलवे इस हादसे से सबक लेते हुए क्या ठोस कदम उठाते हैं।











