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किशनगंज में मुखिया सोगरा नसरीन बर्खास्त

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ठाकुरगंज प्रखंड अंतर्गत जीरनगच्छ पंचायत की मुखिया सोगरा नसरीन को फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर चुनाव लड़ने के आरोप में बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने उनके पद से तत्काल प्रभाव से हटा दिया है। आयोग की जांच में यह सामने आया कि सोगरा नसरीन ने आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने के लिए गलत जातीय प्रमाण पत्र का उपयोग किया था।

किशनगंज में मुखिया सोगरा नसरीन बर्खास्त
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शेख जाति को दर्शाकर पिछड़ा वर्ग में दिखाया

जांच में यह तथ्य सामने आया कि सोगरा नसरीन की जाति ‘शेख’ है, जो बिहार सरकार की पिछड़ा वर्ग (OBC) की सूची में शामिल नहीं है। इसके बावजूद उन्होंने पिछड़ा वर्ग प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर आरक्षित सीट से पंचायत चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।

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तनवीर आलम की शिकायत से हुआ खुलासा

यह मामला स्थानिय नागरिक तनवीर आलम द्वारा की गई शिकायत के बाद प्रकाश में आया। आयोग ने मामले की विस्तृत सुनवाई की, जिसमें वादी पक्ष की ओर से अधिवक्ता रंजीत चौबे और प्रतिवादी की ओर से अधिवक्ता अविनाश कुमार और एसबीके मंगलम ने अपना पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान उपलब्ध साक्ष्यों से पुष्टि हुई कि सोगरा नसरीन ने गलत जानकारी देकर चुनाव लड़ा।

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कानूनी आधार पर पद से हटाने का फैसला

बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने यह कार्रवाई बिहार पंचायती राज अधिनियम, 2006 की धारा 135 और 136(2) के तहत करते हुए सोगरा नसरीन को अयोग्य घोषित किया और मुखिया पद से मुक्त कर दिया। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में फर्जी शपथ पत्र प्रस्तुत करने के लिए उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई भी की जाएगी।

प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध

इस पूरे प्रकरण में तत्कालीन अंचल अधिकारी (CO) और संबंधित राजस्व कर्मचारी की भूमिका भी संदेह के घेरे में आई है। आयोग ने दोनों को दोषी करार देते हुए उनके खिलाफ विभागीय जांच और अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने के निर्देश दिए हैं।

ज्ञापन संख्या 39/2024 के आधार पर कार्रवाई

यह कार्रवाई बिहार राज्य निर्वाचन आयोग के ज्ञापन संख्या 39/2024 के आधार पर की गई है, जिसमें स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी जनप्रतिनिधि द्वारा फर्जी दस्तावेजों के सहारे पद प्राप्त करने की स्थिति में कठोर कार्रवाई की जाएगी।


क्या है आगे का रास्ता?

अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सोगरा नसरीन के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई कब तक शुरू होती है और दोषी अधिकारियों को क्या सज़ा मिलती है। यह मामला पंचायत स्तर पर प्रशासनिक पारदर्शिता और सत्यापन प्रक्रिया की गंभीर खामियों को उजागर करता है।

अधिक अपडेट के लिए पढ़ें Jeb News.

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