किशनगंज, दिघलबैंक: बिहार के किशनगंज जिले के दिघलबैंक प्रखंड में आई बाढ़ ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। बीते दिनों हुई भारी बारिश और नदियों के उफान के कारण अचानक आई बाढ़ ने क्षेत्र में व्यापक तबाही मचाई है। इससे सड़कों, पुलों, घरों और सैकड़ों बीघा फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं किसान, जिनकी खड़ी फसलें बर्बाद हो गईं हैं और अब वे मुआवजे की मांग कर रहे हैं।

सैकड़ों बीघा फसल नष्ट, किसानों पर कर्ज का संकट
प्रखंड के सतकौआ पंचायत सहित दिघलबैंक के दर्जनों गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। खासकर हल्दावन वार्ड संख्या 7 के किसान शफीक आलम, हारून और रफीक आलम जैसे कई किसानों की फसलें पूरी तरह से नष्ट हो चुकी हैं। उन्होंने बताया कि बाढ़ ने धान और आलू दोनों फसलों को पूरी तरह नष्ट कर दिया है।
इन किसानों ने खेत जमींदारों से लीज पर लिए थे और खेती के लिए उन्होंने निजी स्तर पर ब्याज पर ऋण भी लिया था। आलू की फसल तैयार होने ही वाली थी, लेकिन अचानक आई बाढ़ ने खेतों में लगी फसल को बहा दिया या फिर बालू और मिट्टी से पूरी तरह ढक दिया। इससे किसानों को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। अब ये किसान ऋण चुकाने को लेकर बेहद चिंतित और मानसिक रूप से परेशान हैं।

बिजली और आधारभूत संरचनाएं भी क्षतिग्रस्त
बाढ़ के चलते कई स्थानों पर बिजली के खंभे और तार गिर गए हैं। बिजली आपूर्ति बाधित हो गई है और कई गांवों में अंधेरा पसरा हुआ है। हालांकि बिजली विभाग की टीमें मरम्मत कार्य में लगी हुई हैं, लेकिन स्थिति सामान्य होने में समय लग सकता है।
वहीं, कई घरों और गांव की प्रमुख सड़कों को भी बाढ़ ने क्षतिग्रस्त कर दिया है, जिससे आवागमन में भारी कठिनाई हो रही है। गांवों को जोड़ने वाले कई कच्चे-पक्के रास्ते बह गए हैं।

किसानों की प्रशासन से अपील
प्रभावित किसानों ने स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से तत्काल राहत और मुआवजा देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सरकार को क्षेत्र में सर्वे कराकर किसानों के नुकसान का आकलन करना चाहिए और उन्हें उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए ताकि वे दोबारा खेती शुरू कर सकें और अपने कर्ज से उबर सकें।
स्थानीय लोगों ने बताया कि बाढ़ की वजह से न सिर्फ कृषि बल्कि ग्रामीण जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। वे चाहते हैं कि इस प्राकृतिक आपदा को देखते हुए इसे विशेष आपदा क्षेत्र घोषित कर, राहत कार्यों में तेजी लाई जाए।
प्रशासन की ओर से प्रतिक्रिया का इंतजार
फिलहाल स्थानीय प्रशासन की ओर से इस पर कोई औपचारिक बयान नहीं आया है, लेकिन ग्रामीणों को उम्मीद है कि अधिकारियों की टीम जल्द ही सर्वेक्षण कर उन्हें राहत पहुंचाएगी। प्रभावित किसानों की स्थिति को देखते हुए त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता है।
निष्कर्ष: किशनगंज के दिघलबैंक प्रखंड में बाढ़ ने न सिर्फ फसलें तबाह की हैं, बल्कि किसानों की आर्थिक रीढ़ भी तोड़ दी है। ऐसे में सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि वे जल्द से जल्द राहत कार्य शुरू करें और जरूरतमंदों को मदद पहुंचाएं, ताकि वे इस आपदा से उबर सकें।
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